पितृ पक्ष (Pitru Paksha) मुख्य रूप से पितरों को समर्पित होता है। सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा के शान्ति के लिए पितृ पक्ष में पिंडदान, तर्पण करने की परंपरा है। पितृ पक्ष लगातार 15 दिनों तक चलता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और इस दौरान उनका नियमित श्राद्ध (Shraahd) करने से, तर्पण करने से और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर शुरू जिसका समापन 07 सितंबर को ही रात 11 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में रविवार, 07 सितंबर 2025 से पितृ पक्ष की शुरुआत होगी। वहीं पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगा। इस बीच 15 दिनों के दौरान आप अपने पूर्वजों का पिंडदान कर सकते हैं।
पौराणिक शास्त्रों में तिल को देवान्न यानी देवताओं का अन्न कहा गया है। और जल को मुक्ति के साधन के समान बताया गया है। इसके अतिरिक्त और भी मान्यताएं है कि काला तिल का एक दाना दान करने की दृष्टि से बत्तीस सेर स्वर्ण तिलों के बराबर होता है। इसलिए पानी के साथ तिल अर्पित करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।
पितृपक्ष (Pitru Paksha) में क्या करें-
पितृपक्ष (Pitru Paksha) में रोजाना गाय को चारा या भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय को खिलाएं। ऐसा करने से देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान न करें ये काम
इस अवधि में मांस, मछली, अंडा और शराब आदि का सेवन वर्जित माना गया है।
इस दौरान मांगलि कार्य करने की मनाही होती है।