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श्राद्ध में गीता के किस अध्याय का करना चाहिए पाठ?, तर्पण करना ही है पिंडदान

Desk by Desk
05/09/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
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bhagavad gita

गीता

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धर्म डेस्क। श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है। अपने पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए  मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण करना ही पिंडदान करना है।

भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण की अमावस्या तक कुल 16 दिन तक श्राद्ध रहते हैं। इन 16 दिनों के लिए हमारे पितृ सूक्ष्म रूप में हमारे घर में विराजमान होते हैं। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि श्राद्ध में श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए। इस पाठ का फल आत्मा को समर्पित करना चाहिए।

पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष आरंभ होता है। प्रतिपदा तिथि पर नाना-नानी के परिवार में किसी की मृत्यु हुई हो और मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो उसका श्राद्ध प्रतिपदा पर किया जाता है। पंचमी तिथि पर अगर किसी अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु हुई है तो उसका श्राद्ध इस तिथि पर करना चाहिए। अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है। एकादशी पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना में हो गई है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है।

पितरों का कर्ज चुकाना एक जीवन में तो संभव ही नहीं, उनके द्वारा संसार त्याग कर चले जाने के बाद भी श्राद्ध करते रहने से उनका ऋण चुकाने की परंपरा है। इसमें जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता भी करते हैं।

पितृ पक्ष के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही नहीं घर में अशांति फैलती है और व्यापार व गृहस्थी में भी हानि झेलनी पड़ती है। ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है।

Tags: bhagavad gitaLifestyle and Relationshippitru pakshaShraddha Karma 2020Shraddha Karma Vidhi
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