नई दिल्ली। दुनियाभर के कई देश कोरोना वैक्सीन तैयार करने में दिन-रात लगे हुए हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ट्रेडोस अधनोम ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के लिए विकसित किए जा रहे टीकों में से कोई काम करेगा या नहीं इस बात की कोई गारंटी नहीं है। WHO के इस ताजा बयान से कोरोना वैक्सीन को लेकर लगाए जा रहे उम्मीदों को झटका लगा है।
ट्रेडोस अधनोम ने कहा कि इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि विकास के चरण से गुजरने के दौरान भी कोई टीका काम करेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा से ज्यादा वॉलन्टियर्स पर वैक्सीन की टेस्टिंग होगी, एक बेहतर और प्रभावी वैक्सीन के विकास में यह उतना ही अच्छा मौका होगा।
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WHO प्रमुख ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए वॉलन्टियर्स के माध्यम से लगभग 200 वैक्सीन विकसित किए जा रहे हैं। टेड्रोस ने कहा कि कोविड-19 के लिए यह वैक्सीन वर्तमान में क्लिनिकल और प्रीक्लिनिकल ट्रायल के फेज में हैं। इतिहास बताता है कि विकास के चरण में इनमें से कुछ असफल होंगे और कुछ सफल होंगे।
रेस में सबसे आगे है ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन
कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने के लिए दुनियाभर में करीब 180 विकल्पों पर इस वक्त काम चल रहा है। अलग-अलग रिसर्च में सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। अमेरिका की Moderna Inc की वैक्सीन mrna1273 इंसानों पर पहले ट्रायल में सफल भी रही है, लेकिन एक वैक्सीन ऐसी है जिससे इस वक्त दुनिया को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। वह है ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन AZD1222। WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन का भी कहना है कि ऑक्सफर्ड की वैक्सीन इस रेस में सबसे आगे है।
वैक्सीन के वितरण के लिए WHO ने बनाया सिस्टम
विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में जुटे वैश्विक गठबंधन समूहों और सीईपीआई के साथ समन्वय कर रहा है। भविष्य में देशों के बीच टीकों के समान वितरण को सक्षम करने के लिए कोवैक्स नाम से एक सिस्टम भी बनाया गया है। ट्रेडोस अधनोम ने कहा कि यह कोवैक्स सुविधा सरकारों को वैक्सीन के विकास में सक्षम बनाती है और यह सुनिश्चित करती है कि उनकी नागरिकों तक प्रभावी टीका जल्द पहुंच सके। उन्होंने सभी देशों को याद दिलाते हुए कहा कि कोविड-19 के लिए इलाज खोजने की दौड़ एक सहयोग है और प्रतियोगिता नहीं है।
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ट्रेडोस अधनोम ने कहा कि यह दान नहीं है। यह हर देश के सर्वोत्तम हित में है। हम डूबते हैं या हम एक साथ तैरते हैं। महामारी को समाप्त करने और वैश्विक आर्थिक सुधार में तेजी लाने का सबसे तेज मार्ग यह सुनिश्चित करना है कि कुछ लोग सभी देशों में टीकाकरण में शामिल हों, न कि कुछ देशों में सभी लोग।
अब तक 64 अमीर देश कोवैक्स का हिस्सा बन चुके हैं। अमेरिका ने इसका हिस्सा होने से इनकार कर दिया है। चीन और रूस भी अब तक इससे नहीं जुड़े हैं, लेकिन ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसका हिस्सा बन गए हैं। WHO को उम्मीद है कि 24 अन्य अमीर देश आने वाले दिनों में इससे जुड़ेंगे। वहीं, WHO के कोवैक्स एडवांस मार्केट कमिटमेंट के जरिए सहयोग पाने वाले देशों में भारत भी शामिल है।