व्यापार डेस्क. देश में लोगों को लगातार महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है. ताजा आकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक आधारित (WPI) महंगाई दर आठ महीने की ऊंचाई पर पहुंच चुकी है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पिछले महीने अक्टूबर में 1.48 फीसदी रही, जोकि सितंबर महीने में 1.32 फीसदी थी. अगर पिछले साल के हिसाब से देखा जाए तो अक्टूबर 2019 में थोक महंगाई सिर्फ 0 फीसदी थी.
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आलू सहित सब्जियों के दाम और मैन्युफैक्चर्ड उत्पाद के दाम बढ़ने से थोक महंगाई बढ़ी है. आलू के दाम में तो 107 फीसदी का उछाल आया. इससे पहले खुदरा महंगाई के आंकड़े भी चिंताजनक स्तर पर रहे हैं.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसारए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने बढ़कर 1.48 फीसदी रही. फरवरी के बाद यह थोक मुद्रास्फीति का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. अगस्त में यह आंकड़ा 0.16 फीसदी था, जुलाई में नेगेटिव 0.58 फीसदी और जून में यह नेगेटिव 1.81 फीसदी था.
हालांकि, अक्तूबर में खाद्य वस्तुओं के दाम घटे, जबकि इस दौरान मैन्युफैक्चर्ड उत्पाद महंगे हुए. अक्तूबर में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 6.37 फीसदी रह गई. सितंबर में यह 8.17 फीसदी के स्तर पर थी.
सब्जियों के दाम बढ़े
अक्टूबर में सब्जियों और आलू के दाम क्रमश: 25.23 फीसदी और 107.70 फीसदी बढ़ गए. वहीं गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम 2.85 फीसदी और खनिजों के दाम 9.11 फीसदी बढ़ गए.
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट महंगे
अक्टूबर में विनिर्मित उत्पाद 2.12 फीसदी महंगे हुए. सितंबर में इनके दाम 1.61 फीसदी बढ़े थे. इस दौरान ईंधन और बिजली के दाम 10.95 फीसदी घट गए. पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में 7.61 फीसदी रही है.
खुदरा महंगाई भी चिंताजनक
गौरतलब है इसके पहले अक्टूबर माह में खुदरा महंगाई के मामले में बड़ा झटका लगा है. खाने पीने की चीजों, मुख्यत: सब्जियों और अंडों की बढ़ी कीमतों की वजह से पिछले माह खुदरा महंगाई बढ़कर 7.61 फीसदी हो गई. खुदरा महंगाई का यह स्तर लगभग साढ़े 6 साल का हाई है. इससे पहले खुदरा महंगाई का सबसे उच्च स्तर मई 2014 में दर्ज किया गया था, जो कि 8.33 फीसदी है.