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मोदी सरकार MSP को कानून में जोड़ने से क्यूं भाग रही है?

 

नई दिल्ली। कृषि संबंधित विधेयकों को लेकर कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर हमला तेज कर दिया है। साथ ही आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी जिम्मेदारी देने से दूर भाग रही है।

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कांग्रेस ने इन विधेयकों को ‘कृषि विरोधी काला कानून’ करार दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल किया कि कृषि उपज विपणन समिति या किसान बाजार खत्म होने पर MSP कैसे सुनिश्चित किया जाएगा?

उन्होंने कहा कि MSP की कोई गारंटी क्यों नहीं है? गांधी ने ट्वीट किया कि मोदी जी किसानों को पूंजीपतियों का ‘ग़ुलाम’बना रहे हैं, जिसे देश कभी सफल नहीं होने देगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा से पारित इन विधेयकों को आज राज्यसभा में पेश किया। राज्यसभा में दो विधेयक पारित हो गए।

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तोमर ने कहा कि किसानों से कृषि फसल की एमएसपी आधारित खरीद जारी रहेगी। इसका इन विधेयकों से कोई संबंध नहीं है, जिनमें कृषकों को अपनी उपज बेचने की आजादी देने की कोशिश की गयी है। विधेयकों को राज्यसभा में रखे जाने से पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार व्हिप के जरिए राज्यसभा से ‘तीन काले विधेयक’ पारित करवाएगी।

सुरजेवाला ने कहा कि लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं है कि कैसे 15.5 करोड़ किसान एमएसपी हासिल करेंगे? मंडी के बाद एमएसपी की जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि सरकार MSP को कानूनी जिम्मेदारी देने से क्यों भाग रही है। मंडी के बाहर एमएसपी की जिम्मेदारी कौन लेगा।

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इन विधेयकों का किसान संगठन व सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर से भी कड़ा विरोध किया जा रहा है। शिरोमणि अकाली दल की नेता एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर ने पिछले सप्ताह इस मुद्दे पर इस्तीफा दे चुकी हैं।

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