नई दिल्ली। कृषि कानून से जुड़ी कांट्रैक्ट खेती का विरोध तो किया जा रहा है, लेकिन गुजरात के मेहसाणा इलाके के आलू किसान इस कांट्रैक्ट खेती की बदौलत अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पादक बन गए। नतीजा यह हुआ कि आज देश के कुल आलू उत्पादन में 10 फीसद से भी कम हिस्सेदारी के बावजूद देश के कुल आलू निर्यात में गुजरात की हिस्सेदारी 27 फीसद है।
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अमेरिका व यूरोप में 65-70 फीसद आलू प्रोसेस्ड किए जाते हैं। मेहसाणा के आलू किसानों के मुताबिक उन्हें प्रोसेस्ड वेरायटी वाले आलू उगाने की जानकारी फ्रेंच फ्राइज बनाने वाली कंपनी से आलू की खेती के करार के बाद मिली। उसका नतीजा यह हुआ कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुजरात के आलू की मांग लगातार बढ़ रही है।
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कृषि निर्यात के प्रोत्साहन के लिए काम करने वाली ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआइ) के चेयरमैन मोहित सिंगला के मुताबिक अभी अंतराष्ट्रीय बाजार में कृषि उत्पाद के लिए भारत को सप्लायर के रूप में नहीं देखा जाता है। इसकी मुख्य वजह है कि एक साथ भारी मात्रा में उत्पाद की उपलब्धता नहीं होती है।
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किसान के पास माल होता है, लेकिन निर्यातक को यह पता नहीं होता है कि किन-किन किसानों के पास कितना माल है। दूसरी बात है कि अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारतीय उपज की गुणवत्ता को लेकर आश्वस्त नहीं हो पाते हैं। नए कृषि कानून के तहत कांट्रैक्ट पर खेती शुरू होने से इन दोनों ही समस्याओं का समाधान निकल जाएगा। भारत के उत्पाद की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांडिंग होगी।