नई दिल्ली। टूलकिट मामले में पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी मामले में मंगलवार को दिल्ली महिला आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। इसके तहत आयोग ने दिल्ली पुलिस के साइबर क्राइम सेल के डिप्टी कमिश्नर को नोटिस भेजा है। इस नोटिस में आयोग ने पुलिस से एफआईआर की कॉपी मांगी है। इसके साथ ही दिशा को स्थानीय कोर्ट में ट्रांजिट रिमांड के लिए न पेश किए जाने का कारण और डिटेल एक्शन रिपोर्ट भी मांगी है।
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दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने रखा अपना पक्ष
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि दिशा रवि की गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की गई है। कानून 22 साल और 50 साल की उम्र में कोई अंतर नहीं करता है। कोर्ट ने गिरफ्तारी को सही मानते हुए 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। जो लोग कहते हैं कि गिरफ्तारी में कोई कमी है ये बिल्कुल गलत है।
दिल्ली पुलिस ने ‘जूम’ एप को पत्र लिख कर किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में ‘टूलकिट’ तैयार करने के लिए बीते 11 जनवरी को आयोजित ऑनलाइन बैठक में संबंध में जानकारी मांगी है। पुलिस का आरोप है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा से कुछ दिन पहले ‘जूम’ एप पर आयोजित बैठक हुई थी। इस बैठक में मुम्बई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु सहित 70 लोगों ने हिस्सा लिया था।
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डिजिटल सुबूतों से पता चला शांतनु ने तैयार करवाई थी टूलकिट
दिशा से मिले डिजिटल सुबूतों से पता चला है कि पुणे निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर शांतनु ने टूलकिट तैयार की थी। इसके लिए उसने एक ई-मेल एड्रेस तैयार किया था। इससे ही टूलकिट भेजी गई। निकिता और दिशा ने उसमें एडिटर की भूमिका अदा की। जूम मीटिंग में एमओ धालीवाल व अन्य ने इसका ड्राफ्ट तैयार किया था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि आईटीओ पर ट्रैक्टर हादसे में मरे किसान रवनीत सिंह की मौत को पुलिस की गोली से मौत बताना भी इसका ही हिस्सा था।
परिजनों की मौजूदगी में दिशा रवि को किया था गिरफ्तार : दिल्ली पुलिस
दिशा की गिरफ्तारी पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए दिल्ली पुलिस ने सोमवार को सफाई दी है। कहा है कि बंगलूरू में दिशा की गिरफ्तारी उसकी मां और लोकल पुलिस की मौजूदगी में की गई। इसकी सूचना दिशा के वकील को भी दी गई है। चूंकि पुलिस की टीम 24 घंटे से पहले दिशा को लेकर दिल्ली आ गई, इसलिए उसकी ट्रांजिट रिमांड भी नहीं ली गई। यहां दिशा के वकील जब कोर्ट में पेश नहीं हुए तो उनको अपना पक्ष रखने के लिए वकील भी उपलब्ध कराया गया।