फिरोजाबाद : कोरोना काल मे महामारी ने इस दुनिया को ऐसा परेशान किया कि बाकी गंभीर बिमारियों की सुध ही नहीं रही। कोविड काल में एड्स के भी बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। कई प्रवासी मजदूर और छात्र जो बाहर रहते थे, जब लॉकडाउन में घर वापस आए तो यह खुलासा हुआ। जब यह मरीज घर आए तो जिला अस्पताल से दवा लाने लगे। लॉकडाउन में इन मरीजों की संख्या 300 के पार पंहुच गई, जो कि अबतक की सबसे ज्यादा है। मरीज के एड्स की दवा लेने का पता जब परिजनों को चला तो उनके होश उड़ गए। जिला अस्पताल की काउंसलर ने बताया कि एचआईवी के मरीजों की जांच गुप्त रखी जाती है। इस बार लॉकडाउन में इन मरीजों की संख्या जनपद में बढ़ गई थी, जो भी केस आ रहे हैं, उनमें से अधिकतर अन्य प्रदेशों में पढ़ने और काम करने वाले लोग हैं।
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महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. पूनम अग्रवाल बताती हैं कि इस साल 28 नए मरीज मिले। वर्ष 2017 में एचआईवी पॉजिटिव के 72, वर्ष 2018 में 68, वर्ष 2019 में 38 रोगी मिले। इस बार कोरोना कॉल में अधिक जांचें नहीं हुईं। इसके बावजूद भी 28 रोगी चिह्नित किए गए। इसमें युवा, महिला और पुरुष शामिल हैं।
सावधानी ही एड्स से बचाव का तरीका है। मल्टी पार्टनर होने या एड्स संक्रमित का रक्त चढ़वाने, सामूहिक रूप से नशा करने वालों में एचआईवी की संभावना अधिक होती है। अगर किसी गर्भवती को एड्स है। ऐसे में उसका और उसके बच्चे का सही समय पर इलाज हो तो बच्चा संक्रमित होने से बच सकता है। एड्स के लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। जागरूकता के बाद भी लोग एचआईवी का शिकार हो रहे हैं, जो चिंतनीय है। इंजेक्शन डिस्पोजल सिरिंज का इस्तेमाल करना चाहिए। एड्स से संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढ़वाने से एड्स हो सकता है। एचआईवी का लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को बार-बार बुखार आता है। वजन तेजी से कम होता है।