राजस्थान सहित देशभर में पैदा होने वाले नवजात शिशु बधिरपन के कारण अपने मानवीय अधिकारों से भी वचिंत रह जाते है। इनके अधिकारों की रक्षा हो और इन्हे सम्मान मिले इसके लिए प्रतिवर्ष विश्व मूक बधिर दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2021 के लिए विश्व बधिर संघ की थीम ‘‘वी साइन फॉर ह्यूमन राइट्स’’ (हम मानवाधिकारों के साथ खड़ें है), रखी गई है। मूक बधिर दिवस का मुख्य उद्देश्य बधिरों के स्वस्थ जीवन, स्वाभिमान, गरिमा, मानवीय अधिकारों के साथ उनकी भावनाओं को बल मिल सके इसके लिए सार्थक प्रयास करना है।
ईएनटी चिकित्सकों ने जताई चिंता
राजस्थान के ईएनटी चिकित्सकों ने चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री से नवजात शिशु की सुनने की जांच को लेकर “नीओनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग” को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाने का आग्रह किया है। इससे बच्चों के सम्पूर्ण जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है।
सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग आचार्य डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6.3 प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप में बधिरता से ग्रसित हैं। जबकि देश में एक लाख (करीब प्रति हजार जन्मजात बच्चों में से चार बच्चे) से अधिक बच्चे प्रतिवर्ष बधिर पैदा हो रहे है। इनके लिए केंद्र व राज्य सरकार को बच्चों के जन्म के समय ही इसकी जांच को अनिवार्य करना चाहिए, ताकि इन बच्चों के सभी अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे तभी मूक बधिर दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी।
डा.सिंघल ने बताया कि जन्म के समय इन बच्चों की श्रवण जांच नही होने से इनको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसके चलते आज भी देश व प्रदेश में हजारों बच्चे मूक बधिरता से ग्रसित है, जिनके साथ कई तरह की घटनाएं भी घट जाती है। इसलिए समय रहते इसे टीकाकरण जैसे अभियान का हिस्सा बना देना चाहिए। जिसके सुनने की जांच अनिवार्य हो जाए।
छह सौ कॉकलियर इम्प्लांट
डॉ.सिंघल ने बताया कि राजस्थान में मुख्यमंत्री सहायता कोष से करीब छह सौ कॉकलियर इम्प्लांट पिछले दस सालों में किए जा चुके है। जिसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए है।
‘‘वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान’’
सुखम फाउंडेशन व एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘वायॅस ऑफ साइलेंस अभियान’’ का आगाज वर्ष 2020 में विश्व मूक बधिर दिवस पर ही किया गया था।
पिछले एक साल से सक्रिय
वॉयस ऑफ साइलेंस अभियान का ब्रांड एंबेसडर ग्यारहवीं कक्षा की छात्रा लिपि को बनाया गया है। जोकि डा.सुनीता सिंघल की पुत्री है। लिपि पिछले एक साल से अपने साथियों के साथ इस मुद्दे पर युवाओं को जागरूक करने का काम कर रही है। इसके साथ ही बच्चों की टीम के द्वारा इसमें होने वाली अधिकतर गतिविधियें का आयोजन किया जा रहा है।
“नीओनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग” के लिए पत्र
जिसमें देशभर के ईएनटी चिकित्सकों, एसोसिएशन ऑफ ओटोलरैंगोलोजिस्ट ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र, ईमेल भेजा जा रहा है। जिसमें श्रवण जांच को जन्म के समय ही कराने की मांग की जा रही है। जन्म के बाद शुरुआती समय में इसकी जांच होने पर नवजात की मूक बधिरता का पता करके इसका इलाज किया जा सकता है। इसके साथ ही कॉकलियर इम्प्लांट कराने से भी इसमें फायदा मिलता है।
जिसमें बताया है कि नवजात की पहली जांच जन्म के एक माह के भीतर होनी चाहिए तथा उसमें खराबी आने पर अगली जांच क्रमशः तीसरे और छठे माह पर होनी चाहिए, ताकि छह माह के भीतर ही बच्चे का ईलाज शुरु किया जा सके।
इसमें नवजात शिशु की सुनने की जांच को लेकर “नीओनेटल हियरिंग स्क्रीनिंग” को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा बनाने का आग्रह किया है।
इस तरह कर सकतें है सम्मान
उन्होने बताया कि अपने आसपास के इलाके में यदि कोई मूक बधिर है तो उसका सम्मान करें अच्छा व्यवहार करे और उनकी अच्छाई को प्रदर्शित कर उनका हौसला बढ़ाए।
कॉकलियर इम्प्लांट से पीड़ितों को मिल रही मदद
मूक -बधिर बालकों की कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरी – राजस्थान राज्य के बीपीएल / नॉन बीपीएल छह साल की आयु तक के मूक – बधिर बालकों जिनके परिवार की वार्षिक आय दो लाख रुपये तक है, को मुख्यमंत्री सहायता कोष से शत -प्रतिशत सहायता सवाई मानसिंह चिकित्सालय, जयपुर, मथुरादास माथुर चिकित्सालय जोधपुर, पीबीएम अस्पताल बीकानेर, महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय, उदयपुर, महाराव भीमसिंह चिकित्सालय, कोटा, एम्स जोधपुर एवं जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर में इसका इलाज के लिए स्वीकृत की जाती है। इन अस्पतालों से वे अपना इलाज ले सकते है।