• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

नागपंचमी पर जरूर जाएं इन 6 नाग मंदिरों से किसी एक स्थान पर, मन्नत होगी पूरी

Writer D by Writer D
28/07/2025
in फैशन/शैली, धर्म
0
Nag Panchami

nag panchami

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

नागपंचमी (Nag Panchami) पर नाग देवता की पूजा होती है। हर शिव मंदिर में तो नागदेव की पूजा होती ही है लेकिन भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो कि नागदेवता को ही समर्पित हैं। इन्हीं में से 6 ऐसे मंदिर हैं जहां के बारे में कहा जाता है कि नागदेवता यहां पर विराजमान हैं जो भक्तों की मन्नत पूरी करते हैं।

1. नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन :

उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्‍वर मंदिर है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

2. र्कोटक नाग मंदिर, नैनिताल :

उज्जैन में ही महाकाल वन में कर्कोटक नाग मंदिर भी बहुत ही प्राचीन और जागृत है। यहां पूजा करने से किसी भी प्रकार का सर्प दोष या भय नहीं लगता है। कर्कोटक नागराज का वैसे सबसे प्राचीन मंदिर नैनीताल में है। नैनीताल के पास भीमताल में कर्कोटक नामक पहाड़ी के टॉप पर यह मंदिर बना है। इस मंदिर का वर्णन स्कंदपुराण के मानसखंड में भी किया गया है।

3. वासुकि नाग मंदिर प्रयागराज :

उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में संगम तट पर दारागंज क्षेत्र में वासुकि नाग का मंदिर स्थित है। वासुकि भगवान शिव के गले के नाग हैं और वे मनसादेवी के भाई है। नाग वासुकि मंदिर को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वाध्यक्ष भी कहा गया है। नागपंचमी के दिन यहां एक बड़ा मेला लगता है। प्रयागराज में ही प्रयागराज में ही यमुना किनारे एक और नाग मंदिर है जिसे तक्षकेश्वर नाथ का मंदिर कहते हैं। यह अति प्रचीन मंदिर है जिसका वर्णन पद्म पुराण के 82 पाताल खंड के प्रयाग माहात्म्य में 82वें अध्याय में मिलता है।

4. मन्नारशाला नाग मंदिर, केरल :

केरल के अलेप्पी जिले से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित मन्नारशाला नाग मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां पर एक या दो नहीं बल्कि 30 हजार नागों की प्रतिमाओं वाला यह मंदिर है जो 16 एकड़ में हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। नागराज को समर्पित इस मंदिर में नागराज तथा उनकी जीवन संगिनी नागयक्षी देवी की प्रतिमा स्थित है।

5. धौलीनाग मंदिर, उत्तराखंड बागेश्वर :

यह मंदिर उत्तराखंड के बागेशवर जिले में स्थित है जो बहुत ही पुराना है। यह मंदिर विजयपुर के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। प्रत्येक नाग पंचमी को मंदिर में मेला लगता है। धवल नाग (धौलीनाग) को कालिय नाग का सबसे ज्येष्ठ पुत्र माना जाता है। यहां कालियान नाग ने शिव की तपस्या की थी। कुमाऊं क्षेत्र में नागों के अन्य भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। जैसे छखाता का कर्कोटक नाग मंदिर, दानपुर का वासुकि नाग मंदिर, सालम के नागदेव तथा पद्मगीर मंदिर, महार का शेषनाग मंदिर तथा अठगुली-पुंगराऊं के बेड़ीनाग, कालीनाग, फेणीनाग, पिंगलनाग मंदिर पिथौरगढ़, खरहरीनाग तथा अठगुलीनाग अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं। स्कंद पुराण के मानस खण्ड के 83वें अध्याय में धौलीनाग की महिमा का वर्णन है। देवभूमि उत्तराखंड में नागों के 108 मंदिर है। प्राचीन काल में टिहरी गढ़वाल में रहने वाले नागवंशी राजाओं और नागाओं के वंशज आज भी नाग देवता की पूजा करते हैं। प्राचीन समय से इस क्षेत्र में बहुत से सिद्ध नाग मन्दिर स्थापित हैं।

6. भीलट देव का मंदिर :

मध्यप्रदेश के बड़वानी में स्थित नागलवाड़ी शिखरधाम स्थित 700 साल पुराने भीलटदेव मंदिर को सबसे चमत्कारिक मंदिर माना जाता है। यहां हर नागपंचमी पर मेला लगता है। कहते हैं कि 853 साल पहले प्रदेश के हरदा जिले में नदी किनारे स्थित रोलगांव पाटन के एक गवली परिवार में बाबा भीलटदेव का जन्म हुआ था। इनके माता-पिता मेदाबाई और नामदेव शिवजी के भक्त थे, परंतु उन्हें को संतान नहीं थी तो उन्होंने शिवजी की कठोर तपस्या की। इसके बाद भीलट देवजी का जन्म हुआ। फिर कहा जाता है कि शिव-पार्वती ने इनसे वचन लिया था कि वो रोज दूध-दही मांगने आएंगे। अगर नहीं पहचाना, तो बच्चे को उठा ले जाएंगे। एक दिन इनके मां-बाप भूल गए, तो शिव-पार्वती बालक भीलदेव को उठा ले गए। बदले में पालने में शिवजी अपने गले का नाग रख गए। इसके बाद मां-बाप ने अपनी भूल स्वीकार की तब शिवजी ने कहा कि पालने में जो नाग छोड़ा है, उसे ही अपना बेटा समझें। इस तरह बाबा भीलटदेव को लोग नागदेवता के रूप में पूजते हैं।

Tags: nag panchamiNag Panchami 2025Nag Panchami Date
Previous Post

नाग पंचमी पर न करें इन चीजों का इस्तेमाल, वरना लग जाएगा सर्प दोष

Next Post

नागपंचमी पर होती है इन नागों की पूजा, जानें पौराणिक कहानी

Writer D

Writer D

Related Posts

Name Plate
धर्म

इस हिस्से में लगवाएं नेमप्लेट, घर में होगी सकारात्मक ऊर्जा की एंट्री

01/10/2025
Phirni Faluda
खाना-खजाना

कुछ नया खाने के है शौकीन, तो इस डिश को करें ट्राई

01/10/2025
tant sarees
फैशन/शैली

ऐसे रखें अपनी फेवरेट और कीमती साड़ियों को नया जैसा

01/10/2025
Hair
फैशन/शैली

घर पर ही अपने बालों को करें सीधा, ट्राई करें ये ट्रिक्स

01/10/2025
Ice
फैशन/शैली

फेस पर करें बर्फ का इस्तेमाल, मिलेगा गज़ब निखार

01/10/2025
Next Post
Nag Panchami

नागपंचमी पर होती है इन नागों की पूजा, जानें पौराणिक कहानी

यह भी पढ़ें

Lakshmana plant

आर्थिक तंगी को दूर करता है ये पौधा, जानें लगाने की सही दिशा

11/11/2023

स्वीमिंग पूल में डूबने से बाल-बाल बची थीं तापसी पन्नू

21/07/2020
yuvraj-hazel keech

हेजल कीच ने पति युवराज सिंह से सोशल मीडिया पर की ऐसी फरमाइश

12/09/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version