भगवान विष्णु (Vishnu) का प्रिय दिन गुरुवार माना जाता है। इस दिन श्रीहरि (Vishnu) की विधि-विधान से पूजा की जाती है और उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। ज्योतिषियों के अनुसार, यदि कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत हो, तो व्यक्ति अपने हर कार्य में सफल होता है। साथ ही उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं, यदि कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, तो आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए भगवान विष्णु (Vishnu) की पूजा करें। साथ ही सच्चे मन से गुरु स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से करियर और कारोबार में सफलता मिलती है।
गुरु स्तोत्र (Guru Stotram)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।
ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
बृहस्पति कवच (Brihaspati Kavach)
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥
नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥