नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्माचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा- अर्चना की जाती है। मां का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। नवरात्र के दूसरे दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया। इस कारण मां को ब्रह्मचारिणी एवं तपस्चारिणी कहा गया। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का पूजन करने से आलस्य, अंहकार, लोभ, असत्य, स्वार्थ व ईर्ष्या जैसी दुष्प्रवृत्तियां दूर हो जाती हैं। मां का स्मरण करने से एकाग्रता एवं स्थिरता आती है। साथ ही बुद्धि, विवेक व धैर्य में वृद्धि होती है। माता की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों में वृद्धि होती है। इस समय शारदीय नवरात्र चल रहे हैं। 4 अक्टूबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा-विधि
इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) की पूजा से दूर होता है आलस्य, अहंकार और लोभ
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें।
मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां (Maa Brahmacharini) की आरती करें।
मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।