नवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि। अष्टमी तिथि को माता महागौरी (Maa Mahagauri) की उपासना की जाती है, इस दिन बहुत सारे लोग विशेष उपवास भी रखते हैं। अष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। इस साल अष्टमी आज यानी 29 मार्च, बुधवार को है।
नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी (Maa Mahagauri) शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है। इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बांये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी (Maa Mahagauri) कहलाईं।
कन्या पूजन के नियम
नवरात्रि में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है।
2 वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं। 3 वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है। त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। जबकि 5 वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है।
रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। 6 वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है। कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
7 वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है। चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 8 वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है। इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।
9 वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है।