Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

शनि प्रदोष आज इस मुहूर्त में करें पूजा, जानें महत्व

Shani Pradosh Vrat

Shani Pradosh Vrat

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत भगवान शिव को समर्पित है और शनिवार के दिन होने के कारण इसमें शनिदेव की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इसे करने से व्यक्ति को शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। रोग, शत्रु, दरिद्रता और जीवन की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है। विशेषकर जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या चल रही होती है, उनके लिए यह व्रत बहुत ही फलदायक होता है। आइए जानते हैं इस साल शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत का शुभ मुहूर्त कब है।

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत कब है?

पंचांग के अनुसार, मई महीने का आखिरी प्रदोष व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह तिथि 24 मई 2025 को शाम 7 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 25 मई 2025 को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर इसका समापन हगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, यह व्रत 24 मई 2025 शनिवार को रखा जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन यानी 25 मई को किया जाएगा।

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत की पूजा विधि

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। फिर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें और उसे गंगाजल से पवित्र करें। एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान शिव, माता पार्वती और शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि शिवलिंग हो तो उसे भी स्थापित करें। फिर हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें। अपनी मनोकामना मन में बोलें। भगवान शिव, माता पार्वती और शनिदेव का आवाहन करें।

बेलपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, चंदन और अक्षत अर्पित करें। काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें। भगवान को नैवेद्य अर्पित करें। धूप और घी का दीपक जलाएं।भगवान शिव के मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें। यह व्रत की महिमा बताती है। भगवान शिव और शनिदेव की आरती गाएं। यदि शिवलिंग है तो उसकी परिक्रमा करें। सबसे आखिर में पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। इस दिन भगवान शिव और शनिदेव दोनों की पूजा करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के दुखों का अंत होता है। यह व्रत आरोग्य और संतान सुख के लिए भी लाभकारी माना जाता है। यदि आप शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं, तो शनि प्रदोष व्रत आपके लिए विशेष रूप से फलदायी हो सकता है।

Exit mobile version