सनातन धर्म में व्रत, उपवास का बहुत महत्व है। भक्त गण भगवान की कृपा पाने के लिए कठिन व्रत उपवास और दान की परंपरा का पालन करते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, साल में दो बार छठ पूजन किया जाता है। चैत्र माह में मनाई जाने वाली छठ को चैती छठ और कार्तिक माह में पड़ने वाली छठ को कार्तिकी छठ कहा जाता है। चैत्र माह की छठ को यमुना छठ (Yamuna Chhath) के रूप में जाना जाता है, जो हर साल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर पड़ती है।
माना जाता है कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर ही देवी यमुना पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। इसलिए इस दिन को यमुना छठ या यमुना जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोलोक में जब श्री हरि ने यमुना जी को पृथ्वी पर जाने की आज्ञा दी तब यमुना जी पृथ्वी पर जाने को अवतरित हुईं।
यमुना छठ (Yamuna Chhath) शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि समापन 14 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, यमुना छठ (Yamuna Chhath) 14 अप्रैल 2024 रविवार को मनाई जाएगी।
यमुना छठ वृंदावन और मथुरा में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यमुना नदी को गंगा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र और सरस्वती के साथ एक पवित्र नदी माना जाता है। देवी यमुना सूर्य देव की बेटी हैं। इसलिए, देवी यमुना ब्रज और मथुरा के लोगों द्वारा अत्यधिक पूजनीय हैं।
यमुना षठ के शुभ दिन पर, भक्त भोर से पहले उठते हैं और यमुना नदी में आध्यात्मिक स्नान करते हैं। देवी यमुना के लिए ‘नैवेद्यम’ के नाम से जाना जाने वाला विशेष भोजन प्रसाद तैयार किया जाता है। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और प्रसाद दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटा जाता है।