कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने राज्य सरकार के कोरोना नियंत्रण पर लगातार किये जा रहे दावे पर हमला करते हुए कहा कि टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट में अपनी विफलताओं को छिपाने के लिये वह झूठी बयानबाजी व आंकड़ेबाजी के खेल में उतरकर राज्य को बड़ी त्रासदी की ओर ले जा रही है।
प्रदेश में वैक्सीन की उपलब्धता और वैक्सीनेशन में भारी अंतर पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूद रफ्तार में लगभग 42 माह का समय वैक्सीन से प्रदेशवासियों को आच्छादित करने में लगेगा, क्योंकि अभी तक मात्र 4.86 प्रतिशत लोगों का ही वैक्सीनेशन ही हो पाया है। वहीं, प्राइवेट नर्सिंग होम में यह पूरी तरह बंद है। उन्होंने कहा कि प्रदेश महामारी की भीषण त्रासदी में फंसा हुआ है और मुख्यमंत्री दौरे कर क्या समीक्षा कर रहे हैं यह बात किसी को समझ नही आ रही है कि वह किस बात की क्या समीक्षा कर रहे हैं? प्रदेश जानना चाहता है कि समीक्षा में वह क्या प्राप्त कर रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी करने वाली योगी सरकार अब तक कुल 1,1680213 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दे पायी। वहीं, 18 वर्ष से अधिक आयु के मात्र 2.76 प्रतिशत लोगों को पहली डोज मिल पायी है जबकि राष्ट्रीय औसत व टारगेट के सापेक्ष 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 6.25 प्रतिशत लोगों का वैक्सीनेशन हो जाना चाहिए था। डबल डोज प्राप्त करने वालों की प्रदेश में कुल संख्या मात्र 3260076 है।
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उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से 97000 गांवों में जांच व मेडिकल किट का कोई अता पता नहीं है। सरकार द्वारा गठित निगरानी समितियां कहीं नजर नहीं आ रही हैं और सरकार झूठ बोलकर इंसानी जानों के साथ लगातार खिलवाड़ करने का घृणित अपराध कर अपने संवैधानिक व नैतिक दायित्वों के निर्वहन से मुंह मोड़कर लोगों को भाग्य भरोसे छोड़कर सत्तासुख तक सीमित हो गयी है।
आगे कहा कि सरकार की आंकड़ेबाजी की पोल खोलते हुए कहा कि राजधानी लखनऊ में जिस तरह रफ्तार है उसमें लगभग दो वर्ष का समय वैक्सीनेशन पूरा करने में लगेगा। ऐसे में सरकार का हर दावा जमीनी सच्चाई में परखने पर औंधे मुंह गिर जाता है। फिर भी सरकार झूठ और हेराफेरी से बाज नहीं आ रही है।
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उन्होंने योगी सरकार से सवाल किया है कि वह बताये कि वैक्सीनेशन की यही रफ्तार रही तो कितने वर्ष में त्रासदी से प्रदेश मुक्त हो पायेगा? सरकार दावा कर रही है कि हमारे पास 18 लाख वैक्सीन डोज उपलब्ध है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब उपलब्धता है तो वैक्सीनेशन सेंटर सरकार क्यों कम कर रही है? 6 सप्ताह में दूसरी डोज देने की नीति में संसोधन कर उसमें 82 दिन का अंतराल क्यों किया गया है? जबकि अभी भी तमाम दावों के बाद भी ग्रामीण इलाकों में जांच व इलाज ही उपलब्ध नहीं है। गांवों में मौत का तांडव चल रहा है और सरकार संवेदनहीनता की पराकाष्ठा पार कर मात्र पीआर के बल पर कोरोना महामारी को नियंत्रित करने का दांव चल रही है। उन्होंने कहा कि महामारी से मुक्ति के लिये सही रणनीति की दिशा में सरकार एक कदम भी चलने को गम्भीर नहीं दिखायी दे रही है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार कोरोना महामारी में अपनी गलत व अदूरदर्शिता का परिचय देते हुए पूरा समय प्रदेशवासियों को गुमराह करने में व्यर्थ कर रही है। त्रासदी में लोगो को जान गंवाने के लिये मजबूर किया है। यह लोगों की जान बचाने के बजाय संक्रमितों की मदद करने वालों पर मुकदमे दर्ज करने, कोरोना से हो रही मौतों को झूठा साबित करने की भूमिका तक सक्रिय है। सत्य यह है कि योगी आदित्यनाथ सरकार से न कुछ हो पाया है और न हो पायेगा।