राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में शवों को नदियों में प्रवाहित करने से रोकने के लिए नगर निगमों में मेयर और पालिका परिषद व नगर पंचायतों में चेयरमैन की अध्यक्षता में दो दिन में समिति बनाने के निर्देश दिए हैं।
दोनों समितियों में 10-10 पार्षदों को रखा जाएगा। अपर मुख्य सचिव नगर विकास डा. रजनीश दुबे ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है।
शासनादेश में कहा गया है कि पर्यावरण हित में नगरीय निकायों में हो रही मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार विहित परंपरा जैसे जलाने या दफनाने के अनुसार ही किया जाए। किसी भी स्थिति में शवों को न तो जल में प्रवाहित किया जाए और न ही जल समाधि दी जाए। इस व्यवस्था की देखरेख के लिए समितियां बनाई जाएं। नगर निगमों में मेयर की अध्यक्षता में समिति होगी। इसमें नगर आयुक्त संयोजक सचिव, उपाध्यक्ष कार्यकारिणी समिति, मुख्य अभियंता सिविल या विद्युत यांत्रिक, नगर स्वास्थ्य अधिकारी के साथ मेयर द्वारा नामित 10 पार्षद सदस्य होंगे।
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इसी तरह नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में चेयरमैन की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी। अधिशासी अधिकारी संयोजक सचिव होंगे। सहायक या अवर अभियंता सिविल, सफाई एवं खाद्य निरीक्षक या वरिष्ठ अधिकारी और चेयरमैन द्वारा नामित 10 पार्षद सदस्य होंगे।
कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु होने पर नगर निकायों की सीमा में शवों के अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए कराया जाएगा। अंतिम संस्कार मुफ्त में कराने का निर्देश दिया गया है। इस पर होने वाला खर्च नगर निकाय अपने स्वयं के स्रोतों या राज्य वित्त आयोग के पैसे से करेंगे।
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एक अंतिम संस्कार पर अधिकतम 5000 रुपये तक खर्च किया जाएगा। निकायों को समिति बनाए जाने की जानकारी 18 मई तक निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय के ई-मेल पर उपलब्ध कराना होगा। निदेशालय इसी दिन शाम को शासन को इसकी जानकारी उपलब्ध कराएगा।