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चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनाने की राह पर योगी सरकार

medical facilities in up

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार (Yogi Government) ने पिछले 5 सालों में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी का परिणाम है कि सीएम योगी के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिली हैं। ऐसे में योगी सरकार 2.0 ने आने वाले पांच सालों के लिए एक बेहतरीन रोडमैप तैयार कर लिया है।

पिछले कई दशकों से यूपी की स्वास्थ्य सुविधाओं की बढ़ोतरी में रोड़ा बने मानव संसाधन के लिए योगी सरकार एक बेहतरीन योजना के तहत काम करने जा रही है। इसके साथ ही आने वाले पांच सालों में मेडिकल प्रोफेशनल सीटों को दोगुना करने की भी पूरी तैयारी कर ली गयी है। पांच सालों में एमबीबीएस की 7000, पीजी की 3000, नर्सिंग की 14,500 और पैरामेडिकल की 3,600 सीटों को बढ़ाया जायेगा।

योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बड़े काम कर रही है। 24 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में साल 2017 से पहले जहां महज 12 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं योगी के सत्ता की कमान संभालने के बाद यूपी में तेजी से चिकित्सकीय सुविधाओं में विस्तार किया गया। आने वाले 100 दिनों में यूपी में ई-हॉस्पिटल की स्थापना होगी। इसके तहत दो सालों के भीतर मेडिकल कॉलेज ई हॉस्पिटल की तर्ज पर क्रियाशील हो जायेंगे।

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छह माह में योजना की घोषणा के साथ आने वाले दो साल में कॉल सेंटर एंड मोबाइल एप तैयार किया जायेगा। यूपी में इमरजेंसी ट्रामा केयर नेटवर्क की स्थापना का काम भी किया जायेगा। प्रदेश सरकार ‘वन डिस्ट्रिक वन-मेडिकल कॉलेज’ के साथ प्रत्येक जनपद को चिकित्सीय सुविधाओं से लैस करने में जुटी है। साल 2022-2023 तक प्रदेश में लैब, सीएचसी पीएचसी का कायाकल्पं, पीकू नीकू की स्था पना, हेल्थस एटीएम जैसी सुविधाओं से यूपी चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनाने की राह पर है।

यूपी साल अगले साल तक 75 जिलों में बीएसएल-2 आरटीपीसीआर लैब, सीटी स्कैन यूनिट, डायलिसिस यूनिट के संचालन संग साल 2022-2023 तक 14 नये मेडिकल कॉलेजों से लैस होगा। 16 पीपीपी मॉडल, दो एम्स, एक बीएचयू, एक एएमयू के अलावा 30 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से प्रदेश की चिकित्सीय सेवाओं में पंख लग रहे हैं। प्रदेश को नये मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलने से एक ओर प्रदेश के अस्पतालों में रेफरल केसों में कमी आयेगी, वहीं दूसरे जनपदों के मरीजों को बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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