लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) एक बार फिर से कृषि कर्ज माफी (Farm Loan Waiver) योजना को शुरू करने की तैयारी में है। इस योजना को मुख्यमंत्री के पहले कार्यकाल में अचानक बंद कर दिया गया था। इस वजह से कुछ किसानों (Farmers) को इसका लाभ नहीं मिल पाया था। अब सरकार उन किसानों को योजना का लाभ देने के लिए फिर से इसे शुरू करने पर विचार कर रही है।
मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि करीब 5000 किसान ऐसे थे, जो योजना का लाभ लेने के लिए पात्र थे। हालांकि किन्हीं कारणों से उनकी कर्ज माफी नहीं हो पाई। फिर सितंबर, 2019 में योजना को बंद कर दिया गया। सरकार ऐसे किसानों के लिए फिर से योजना शुरू करने जा रही है।
कृषि कर्ज माफी योजना के वापस लिए जाने से जिन किसानों को लाभ नहीं मिल पाया, उनमें से कुछ ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसी के बाद सरकार उन्हें लाभ देने पर विचार कर रही है। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो सप्ताह पूर्व मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में योजना के लिए बजट जारी करने पर निर्णय लिया गया था। उम्मीद है कि योजना का लाभ लेने से रह गए किसानों की कर्ज माफी के लिए सितंबर-अक्टूबर तक धनराशि का प्रावधान किया जा सकता है।
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एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने हाईकोर्ट को पहले ही सूचित कर दिया है कि सरकार उन सभी पात्र किसानों के कर्ज को माफ कर देगी, जिनकी याचिकाएं अदालत में लंबित हैं और हम इसे जल्द ही करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले महीनों में अनुपूरक बजट में आवंटन करने के बाद शेष सभी किसानों के फसल लोन माफ करेगी। मार्च 2017 में सत्ता में आते ही योगी आदित्यनाथ सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी। इसमें कहा गया था कि 31 मार्च, 2016 या उससे पहले लोन छोटे और सीमांत किसानों द्वारा लिए गए 1 लाख रुपए तक के फसल लोन को माफ कर दिया जाएगा।
बैंकों ने शुरुआत में कर्जमाफी के लिए पात्र लगभग 66 लाख किसानों की लिस्ट दी थी, लेकिन बाद में योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसानों की जांच के बाद यह संख्या लगभग 45 लाख हो गई। इसी बीच, सरकार ने अचानक सितंबर 2019 में योजना को बंद करने की घोषणा कर दी। हालांकि बंद करने से पहले सरकार ने इस योजना के तहत अधिकतर किसानों के कुल 25 हजार करोड़ रुपए के फसल लोन को माफ कर दिया।
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कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने बिना किसी अग्रिम सूचना के योजना को बंद कर दिया था। ऐसे में हजारों शिकायतें या दावे अनसुलझे रह गए। अब सरकार को बाकी बचे लोन माफी के दावों को निपटाने के लिए 200 करोड़ से अधिक की राशि आवंटित करनी पड़ सकती है।