लखनऊ। उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह के अपराध के मामले में महिलाओं को थाने (Police Station) बुलाने को लेकर सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है। सरकार ने साफ कर दिया कि महिलाओं को थाने में बुलाकर पूछताछ ना की जाए। बहुत जरूरी होने पर उनसे उनके घर जाकर और परिजनों की मौजूदगी में पूछताछ किया जाए। इसी के साथ केवल संदेह मात्र पर गिरफ्तारी भी नहीं करने को कहा गया है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने जिले के सभी इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टरों के लिए सर्कुलर जारी किया है।
डीजीपी ने अपने सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि इन आदेशों का सख्ती से पालन होना चाहिए। जहां कहीं भी इसमें लापरवाही का मामला पाया जाएगा, संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की गिरफ्तारी और पूछताछ के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से कई बार रुलिंग आ चुकी है। ऐसे में आदेशों के अनुपालन में किसी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी थानेदारों, विवेचकों के लिए जारी निर्देश में कहा है कि किसी हाल में महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने में नहीं बुलाया जाना चाहिए।
पुख्ता सबूत पर होगी गिरफ्तारी
सर्कुलर में डीजीपी ने कहा है कि किसी भी महिला की गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर नहीं होनी चाहिए। जबतक उस महिला के खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता सबूत ना हो, उसे थाने (Police Station) में नहीं बुलाया जाना चाहिए। यदि किसी अपराध में महिलाओं से पूछताछ जरूरी होने की दशा में उनके घर जाकर परिजनों की मौजूदगी में पूछताछ हो सकती है।
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मिशन शक्ति के तहत उत्तर प्रदेश में महिलाओं को लेकर साफ गाइडलाइन है। इसमें पहले से ही व्यवस्था है कि किसी भी महिला को गिरफ्तार करने की दशा में तत्काल कोर्ट में या मजिस्ट्रेट के सम्मुख पेश करना होता। पुलिस महिला को गिरफ्तार कर थाने में नहीं रख सकती। इसी प्रकार महिला अपराध के मामलों में आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी के भी प्रावधान हैं।