• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

यूपी में योगी की पौ—बारह

Writer D by Writer D
07/07/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, राजनीति, लखनऊ, विचार
0
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

चुनाव में एक पक्ष जीतता है और दूसरा हारता है। विजेता पक्ष के अपने तर्क होते हैं और विजित पक्ष के अपने। दोनों ही पक्षों के तर्क अकाट्य होते हैं। उन्हें हल्के में नहीं लिया जाता है लेकिन राजनीति में सिकंदर तो वही होता है जो चुनाव जीतता है। विजेता अपने जीत को महिमामंडित करता है और पराजित व्यक्ति अपनी हार का बचाव करता है। उत्तर प्रदेश में भी इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जहां जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में पौ—बारह हो गई है, वहीं यूपी में सरकार बनाने का स्वप्न देख रहे अखिलेश यादव को जोर का राजनीतिक झटका लगा है।

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव उत्तर प्रदेश में चर्चा  के केंद्र में है। जिस चुनाव को सपा अपने पक्ष में मानकर चल रही थी तथा इस बात का दावा कर रही थी कि जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में उसके सर्वाधिक सदस्य जीते हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि बाजी उसके अपने हाथ में थी लेकिन बाजी अचानक पलट जाएगी, इसकी तो उसने कल्पना भी नहीं की थी। 75 में से 67 जिलों में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत उसे पच नहीं पा रही है। सपा केवल पांच जिलों में ही जीत हासिल कर सकी। सपा के जिला पंचायत अध्यक्ष सिर्फ पांच जिलों में चुने गए हैं। कन्नौज, मैनपुरी, बदायूं,फर्रुखाबाद, रामपुर,अमरोहा, मुराबाद और संभल  जैसे अपने मजबूत गढ़ को भी सपा बचा नहीं पाई है। कांग्रेस का तो खैर खाता ही नहीं खुला। बड़ी हिम्मत कर उसने रायबरेली और जालौन में अपने उम्मीदवार उतारे भी थे लेकिन दोनों प्रत्याशियों की हार यह बताने के लिए काफी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का राजनीतिक वनवास अभी खत्म नहीं होने जा रहा है। इसके लिए उसकी नीतियों को भी बहुत हद तक जिम्मेदार माना जा रहा है। रायबरेली और अमेठी में भाजपा प्रत्याशियों की जीत इस बात का संकेत है कि वहां कांग्रेस नेतृत्व की परिवारवादी राजनीति का गढ़ दरक रहा है।

जिला पंचायत सदस्य के चुनाव तो बसपा समर्थित उम्मीदवारों ने भी ठीक—ठाक संख्या में जीते थे लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव न लड़ने का ऐन वक्त पर मायावती ने तो निर्णय लिया, उससे भी समाजवादी पार्टी की गोट फेल हो गई। बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य  सपा की ओर तो जा नहीं सकते। लिहाजा उन्होंने सत्ता से नजदीकी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझी। कानपुर में तो बसपा के जिला पंचायत सदस्य भाजपाइयों की बस में ही वोट देने निकले। यह तो राजनीति की पतीली का एक चावल भर है, शेष जिलों में जिला पंचायत पर अपनी कमान बनाए रखने के लिए क्या—क्या हुआ, कहा नहीं जा सकता। सपा हो या भाजपा दोनों ने ही अपने स्तर पर जोड़—तोड़ किए, मतदाताओं को साधने का प्रयास किया। चंदौली में तो सपा के पूर्व सांसद अपने स्वजातीय जिला पंचायत सदस्य को साष्टांग दंडवत भी करते नजर आए लेकिन इसके बाद भी वे अपने  भतीजे को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव नहीं जितवा सके। मतदाता दंडवत से ही खुश नहीं होता। उसका अपना माइंड सेट होता है जिसे समझे बिना जीत की इबारत लिख पाता संभव नहीं होता। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी अपने तईं खूब प्रयास किए। राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि खरीद में घपले के आरोप लगाकर माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश की लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात जैसा ही रहा।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत  पर जहां आरोपों की तलवार भांज रहे हैं, वहीं इस बात का आरोप भी लगा रहे हैं कि सत्ता का दुरुपयोग कर भाजपा ने इस चुनाव में लोकतंत्र का तिरष्कार किया है। कुछ इसी तरह के आरोप भाजपाइयों में तब सपा पर लगाए थे जब वह 75 में से 63 सीटों पर चुनाव जीती थी। सत्ता के खोंते में विपक्ष के आरोपों के तीर ने घुसे, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ विरोध के घेरे में आ गए थे। जिस तरह भाजपा के बागी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत गए थे और हालात को नियंत्रण में लेकर भाजपा और संघ नेतृत्व को समवेत कसरत करनी पड़ी थी, उसे भी बहुत हल्के में नहीं लिया जा सकता। योगी आदित्यनाथ सरकार ने अनेक जगहों पर भाजपा के बागियों को ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का प्रस्ताव दे दिया था और हारती हुई बाजी को अपने पक्ष में कर लिया था। यही वजह थी कि उत्तर प्रदेश में पूरब से लेकर पश्चिम तक भगवा ध्वज लहरा रहा है। अब भाजपा की नजर ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव पर है। भाजपा को पता है कि वर्ष 2022 की विधानसभा की जंग जीतने के लिए ग्राम प्रधानों,ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों का अपने पक्ष में होना कितना मायने रखता है। चुनाव में हार—जीत तो होती ही रहती है लेकिन उसके संदेश जनता के बीच असर डालते हैं। जीतने और हारने वालों के मनोविज्ञान पर भी उसका अपना असर होता है।

यह सच है कि सपा और बसपा अब दो ध्रुव हो चुके हैं। मायावती को पता है कि गठबंधन की स्थिति में उनके परंपरागत मत तो सपा उम्मीदवारों के पक्ष में पड़ते हैं लेकिन सपा के परंपरागत वोट बसपा उम्मीदवार के पक्ष में हस्तांतरित नहीं हो पाते। यही वजह है कि उन्होंने बहुत पहले ही सुस्पष्ट कर दिया है कि बसपा इस बार उत्तर प्रदेश में किसी भी बड़े राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं करेगी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी लगभग इसी तरह की मुनादी कर चुके हैं कि उनकी पार्टी कांग्रेस और बसपा से गठबंधन नहीं करने जा रही है। यह और बात है कि बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सपा की नीति और नीयत को देखते हुए आज की तिथि में एक भी दल ऐसा नहीं है जो उससे गठबंधन करे। हालांकि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह मायावती की इस टिप्पणी के दूसरे दिन ही अखिलेश से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए।  उत्तर प्रदेश में भाजपा जिस तेजी से बढ़ रही है, मजबूत हो रही है, ऐसे में अन्य राजनीतिक दल अकेले दम पर उससे लड़ पाने की स्थिति में नहीं है।

भाजपा अगर चुनाव हारेगी तो अपने लोगों की बदौलत। उसे दल की अतिमहत्वाकांक्षी और बगावती ताकतों को पहचानना भी होगा और नियंत्रित भी करना होगा। जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत लेना ही पर्याप्त नहीं है। उसे विधानसभा के लिए भी जीत की रणनीति बनानी होगी और इस नीति वाक्य को हमेशा अपने स्मृति केंद्र में रखना होगा कि जिंदगी का सबसे कठिन काम है—खुद को पढ़ना। जो स्वयं को पढ़ नहीं सकता, वह आगे नहीं बढ़ सकता। जिंदगी तब नहीं हारती जब हमें बड़े—बड़े सपने देखते हैं और वह पूरे नहीं होते। जिंदगी तब हारती है जब हम छोटे—छोटे सपने देखते हैं और वह पूरे हो जाते हैं।  जीत की अग अपनी खुशी होती है तो अपने दंभात्मक खतरे भी होते हैं।

भाजपा को अपनी जीत का सिलसिला अगर बनाए रखना है तो उसे आत्मानुशासन और आत्मानुशीलन तो निरंतर ही करना होगा। पार्टी के हर छोटे—बड़े को साथ लेकर चलना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात में दम है कि भाजपा की शानदार विजय विकास,जनसेवा और कानून के राज्य के लिए जनता—जनार्दन का दिया गया आशीर्वाद है।

ऐसे में सोचना यह होगा कि भाजपा सरकार पर जनता का यह आशीर्वाद आगे भी बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकार रूपी विकास के दोनों इंजन पूरी क्षमता के साथ जनहितकारी काम करते रहें।

Tags: cm yogiLucknow Newsup news
Previous Post

सोये हुए वृद्ध पर बदमाशों ने किया धारदार हथियार से हमला, हालत गंभीर

Next Post

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए करें ये प्राणायाम, तनाव और बीमारियां होंगी दूर

Writer D

Writer D

Related Posts

Bhupinder Singh Hooda
राष्ट्रीय

भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलों में फंसे, मानेसर लैंड स्कैम मामले में चलेगा मुकदमा

07/11/2025
Dhirendra Shastri launches Sanatan Hindu Unity Padyatra 2.0
Main Slider

हमें मुसलमानों से कोई दिक्कत नहीं लेकिन… दिल्ली में बोले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

07/11/2025
Azam Khan-Akhilesh Yadav
उत्तर प्रदेश

अचानक अखिलेश से मिलने पहुंचे आजम खान, सियासी गलियारे में हलचल तेज

07/11/2025
Savin Bansal flagged off the Doon Marathon
राजनीति

मैराथन हमें दृढ़ संकल्प, धैर्य और निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश देती है: जिलाधिकारी

07/11/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

भारत की आजादी का अमर मंत्र बन गया था वन्दे मातरम्ः सीएम योगी

07/11/2025
Next Post
Stomach Disorder

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए करें ये प्राणायाम, तनाव और बीमारियां होंगी दूर

यह भी पढ़ें

बंगालः कलकत्ता HC ने पटाखे की बिक्री और इस्तेमाल पर लगाया कंप्लीट बैन

29/10/2021
Bangladesh Train Accident

2 ट्रेनों के बीच भयंकर टक्कर, 20 लोगों की मौत; 100 से ज्यादा घायल

23/10/2023
Gangster Act

चार लुटेरों के खिलाफ की गई गैंगस्टर की कार्रवाई

12/02/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version