नई दिल्ली। खजूर की खेती (Palm Farming) अरब और अफ्रीका में की जाती है। लेकिन भारत में भी कई प्रदेशों में खजूर की खेती (Palm Farming) को अपनाकर किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। खजूर नर और मादा दो प्रकार के होते हैं।
मादा प्रजाति में 3 क़िस्म के बरही, खुनेजी और हिल्लावी खजूर होते हैं। वहीं नर प्रजाति में धनामी मेल और मदसरीमेल खजूर होते हैं। खजूर को खाने के अलावा इसके फलो से अनेक प्रकार की चीजें जैसे जूस, जैम, चटनी, अचार और बेकरी उत्पादन की कई चीजें शामिल है।
खर्च और कमाई –
खजूर की खेती (Palm Farming) में खर्च ज्यादा नहीं होता। इसके पेड़ में 70 से 100 किलो तक की पैदावार होती है। एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 70 पौधे लगाए जाते है। ऐसे में इसकी एक बार की फसल में 5 हज़ार किलो तक की पैदावार मिलती है।
बाज़ार में खजूर महंगे दाम में बिकता है। ऐसे में किसान 5 वर्षो में दो से तीन लाख की कमाई आसानी से कर सकते है।एक पेड़ से तकरीबन 50 हजार रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।
कहां करें खजूर की खेती –
खजूर की खेती (Palm Farming) के लिए उचित जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती सख्त जमीन पर नहीं की जा सकती। इसे ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती और तेज धूप में इसके पौधों का विकास होता है।
इसके पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इसके फलों को पकाने के लिए 45 डिग्री तापमान की जरूरत होती है।
खेत की तैयारी –
इसकी खेती के लिए रेतीली और भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है। ऐसे में खेती से पहले खेत तैयार करना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर देनी चाहिए। खेत को खुला छोड़ दें और फिर कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन जुताई कर दे। ऐसा करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी। इसके बाद खेत को पाटा लगाकर समतल कर लें। इससे खेत में पानी नहीं भरेगा।
कैसे लगाएं पौधे –
खजूर के पौधों की रोपाई की जारी है। इसके लिए खेत में एक मीटर की दूरी पर गड्ढे तैयार कर लें। इन गड्ढों में 25 से 30 किलो गोबर की खाद को मिट्टी के साथ मिलकर डाल दें। अब इसके पौधों को किसी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद लें और पौधों को तैयार किए गए गड्ढों में लगा लें। इसके पौधों की रोपाई के लिए अगस्त के महीने को उचित माना जाता है। एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 70 खजूर के पौधों को लगा सकते है। खजूर का पौधा रोपाई के 3 वर्ष बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाता है।
सिंचाई और अन्य जानकारी –
खजूर के पौधों को बहुत ही कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में इन्हे 15 से 20 दिन की पानी देना चाहिए, वही सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को महीने में केवल एक बार ही सिंचाई की आवश्यकता होती है। खजूर के पौधों पर जब फल लगने लगते है तब पक्षियों के आक्रमण का खतरा होता है। पक्षी पौधों पर लगे फलों को काटकर अधिक नुकसान पंहुचते है, जिससे पैदावार प्रभावित होती है। पक्षियों के आक्रमण से पौधों को बचाने के लिए पौधों पर जाल बिछा सकते हैं।