नई दिल्ली| शून्य ब्रोकरेज शुल्क भारत में स्टॉक ब्रोकिंग का एक आकर्षक मॉडल बनकर उभरा है। इसने इक्विटी निवेशकों के लिए लागत में कटौती करके पारंपरिक पूर्ण सेवा मॉडल को चुनौती दी है। इस मॉडल को खासतौर पर कोरोना संकट काल के दौरान ग्राहकों ने खासा पसंद किया है। शेयरों में निवेश के लिए कई कंपनियां शून्य ब्रोकरेज की पेशकश करती हैं, लेकिन इसमें जहां ग्राहकों का फायदा है तो जोखिम भी कम नहीं। ऐसे में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ब्रोकर का साथ आपके लिए बेहद जरूरी है।
शून्य ब्रोकरेज शुल्क, जीरोदा जैसी कंपनियों द्वारा अग्रणी डिस्काउंट ब्रोकिंग मॉडल का हिस्सा है। इस मॉडल में लेन-देन पर शून्य या बिल्कुल कम ब्रोकरेज शुल्क लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, जीरोदा डिलीवरी ट्रेडों के लिए कोई शुल्क नहीं लेता है।
ये ऐसे ट्रेड हैं जिनमें आप वास्तव में अपने डीमैट खाते में स्टॉक की डिलीवरी लेते हैं या ऐसे स्टॉक बेचते हैं जो आपके डीमैट खाते में हैं। ये ट्रेड आमतौर पर खुदरा निवेशकों द्वारा किए जाते हैं। प्रौद्योगिकी डिस्काउंट ब्रोकिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह लागत में कमी कर ब्रोकरों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है।
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इस मॉडल में शून्य या फिर न्यूनतम शुल्क लगता है, जबकि डिस्काउंट ब्रोकर अन्य प्रकार के ट्रेडों, वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) या इंट्रा-डे के लिए पैसे लेते हैं। इसमें आप उसी दिन स्टॉक खरीदते और बेचते हैं, इसलिए डिलीवरी नहीं लेते। जिस श्रेणी में ब्रोकरेज शुल्क शामिल है, वह एक से दूसरे में अलग-अलग हो सकता है।
उदाहरण के लिए, कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड ने गुरुवार को एक जीरो ब्रोकरेज इंट्रा-डे प्लान लॉन्च किया। इसमें अन्य सभी एफ एंड ओ ट्रेडों के लिए 20 रुपये प्रति ऑर्डर शुल्क है।
ब्रोकरेज, स्टॉक ट्रेडिंग में शामिल एकमात्र शुल्क नहीं है। इसके अलावा भी आपको प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी), स्टांप ड्यूटी, स्टॉक एक्सचेंज से लेन-देन शुल्क, दलाली पर जीएसटी और लेनदेन शुल्क, सेबी शुल्क का भुगतान करना होता है। डीमैट खाते से संबंधित शुल्क भी हैं, जैसे कि वार्षिक रखरखाव शुल्क और डीमैट खाते से डेबिट लेनदेन पर शुल्क। हालांकि इनमें से ज्यादातर काफी कम हैं। उदाहरण के लिए डिलिवरी लेनदेन पर एसटीटी 0.1% और एनएसई लेनदेन शुल्क 0.00325% है।