मुरादाबाद। तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। मुरादाबाद जनपद में 18 वर्ष से कम के करीब सात लाख बच्चे हैं, जिसमें से लगभग 25 हजार बच्चे कुपोषित हैं। स्वास्थ्य विभाग की चिंता यही 25 हजार कुपोषित बच्चे हैं। सीएमओ का कहना है कि बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इन बच्चों को सुरक्षित रखने की रणनीति बनाई जाएगी।
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कोरोना संक्रमण से लोग बेहाल है। अभी संक्रमण की गति भले ही कम हो गई है, लेकिन शहर पूरी तरह से दूसरी लहर से बाहर नहीं आ पाया है। इसी बीच विशेषज्ञों ने तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त कर दी है। इसी के तहत मुरादाबाद के जिला अस्पताल में कोविड एल-2 अस्पताल में पीडियाट्रिक वार्ड बनाया जा रहा है। करीब 30 बेड के इस वार्ड में दस वेंटिलेटर और वाइपैप की सुविधा रहेगी। अधिकारियों का कहना है कि अगले सप्ताह से उपकरण आना शुरू हो जाएंगे।
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साढ़े पांच हजार बच्चे हैं अति कुपोषित
अधिकारियों के अनुसार मुरादाबाद जनपद में 18 वर्ष से कम के करीब सात लाख 20 हजार बच्चे हैं। इनमें से करीब 25411 बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। जिसमें से 19899 बच्चे कुपोषित हैं और करीब 5512 बच्चे अति कुपोषित हैं। पहले से ही इन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना चिंता की बात है।
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मार्च का इस महीने बंटेगा पोषाहार
कुपोषित बच्चों के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है। जनवरी से मार्च तक वितरण नहीं हुआ था। इसके बाद अप्रैल माह में फरवरी का और मई माह में जनवरी का पोषाहार बांटा गया है। इस माह मार्च माह का पोषाहार वितरित किया जाएगा।
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बच्चों के मास्क की मांग की
अधिकारियों का कहना है कि संक्रमण से बचाव के लिए मास्क सबसे ज्यादा जरूरी हैं। छोटे बच्चों के मास्क का साइज अलग होता है। तीसरी लहर से पहले ही बच्चों को सुरक्षित किया जा सके, इसके लिए शासन ने छोटे बच्चों के मास्क भेजने का प्रस्ताव भेजा है।
ब्लाक कुपोषित अतिकुपोषित
बिलारी 1470 346
डींगरपुर 2348 708
मुुरादाबाद ब्लॉक 1339 425
मुरादाबाद शहर 3636 878
डिलारी 3059 383
ठाकुरद्वारा 1955 668
भगतपुर टांडा 1924 100
मूंढापांडे 2373 778
छजलैट 1795 318
18 वर्ष से कम के सात लाख 20 हजार बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित चुनौती है। इसमें से भी यह 25 हजार बच्चों के लिए चिंता है। इसलिए वार्ड की तैयारियों के साथ अब इन कुपोषित बच्चों को स्वस्थ रखने की रणनीति बनाई जाएगी। बाल विकास विभाग के अधिकारियों से पोषाहार वितरण की जानकारी करेंगे। हालांकि अति कुपोषित बच्चों को ज्यादा समस्या न हो, इसके लिए एनआरसी का भी संचालन कर रहे हैं। पहले यह बंद हो गई थी, लेकिन अब इसे शुरू कर दिया गया है।