नई दिल्ली| बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 441 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है।
देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी तथा बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं।
इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं।
अगले सप्ताह बाजार में तेजी रहने की जताई संभावना
मंत्रालय की अगस्त, 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,661 परियोजनाओं में से 441 की लागत बढ़ी है, जबकि 539 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ”इन 1,661 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 20,90,931.27 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 25,26,063.76 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इनकी लागत मूल लागत की तुलना में 20.81 फीसद यानी 4,35,132.49 करोड़ रुपये बढ़ी है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त, 2020 तक इन परियोजनाओं पर 11,48,621.70 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 45.47 फीसद है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 440 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में 907 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।