फरीदाबाद। शादी के सात फेरे में साथ जीने-मरने का संकल्प लेना तो आसान होता है परंतु उसे पूरा करना उतना ही मुश्किल होता है परंतु फरीदाबाद के एक दंपत्ति ने इस संकल्प को पूरा करके एक मिसाल कायम की है, जिसकी चहुुंओर चर्चा चल रही है।
फरीदाबाद जिल के सबसे बड़े गांव तिगांव के भकड़ा मोहल्ला निवासी 82 वर्षीय स्वरूप सिंह नागर ने अपना यह वादा पूरा किया। बुधवार रात को इनकी पत्नी रामवती का बीमारी के चलते निधन हो गया। इसकी सूचना जैसे ही स्वरूप सिंह तक पहुंची, 10 मिनट के अंदर उन्होंने भी दम तोड़ दिया। इसके बाद दोनों की एक साथ घर से अर्थी निकली और श्मशान घाट में भी दोनों की एक ही चिता बनाई।
दोनों के साथ जीने और एक साथ मरने की की चर्चा तिगांव ही नहीं आसपास के गांवों में हो रही है। इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन स्वरूप सिंह ने दो दिन पहले एक पोते सौरभ से बातचीत के दौरान कहा था कि बेटा तेरी दादी की हालत खराब है, देखना हम एक साथ ही जाएंगे और इसके अगले दिन ऐसा ही हुआ।
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स्वरूप सिंह के बेटे सुभाष ने बताया कि उनकी माता रामवती कुछ दिन से बीमार थी। उन्हें एशियन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार रात उनकी मौत हो गई। इसकी सूचना फोन से घर पर दी गई। इस घटना को तुरंत पिता स्वरूप को नहीं बताया गया। सभी को गुमसुम देख पिता सरूप को शक हो गया। टटोलने पर किसी बच्चे ने इसकी सूचना पिता को दे दी। यह सुनकर पिता रोने लगे और चारपाई पर बैठ गए। 10 मिनट में ही वह भी अचेत हो गए। इसके बाद उन्होंने अलविदा कह दिया।
पति-पत्नी के लगभग साथ में निधन होने की वजह से दोनों को एक साथ अलग-अलग अर्थी पर ले जाया गया। ये देखने के लिए काफी भीड़ एकत्र हो गई थी।