नई दिल्ली। दिल्ली सरकार का वार्षिक बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है और 1993 के बाद से पहली बार दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही में दो महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे।
पहला, पूरा विधानसभा सत्र पूरे दिन के लिए आयोजित किया जाएगा। अपने पारंपरिक समय दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक के बजाय 11 बजे से शाम 5 बजे तक विधानसभा की कार्यवाही चलेगी। दूसरा, सत्र बिना किसी ‘प्रश्नकाल’ के आयोजित किया जाएगा।
बता दें कि कई अन्य राज्यों में विधानसभा सत्र सुबह से शाम तक पूरे दिन के लिए आयोजित होते हैं। जबकि, 1993 में अपनी स्थापना के बाद से दिल्ली विधानसभा 2 बजे से शाम 5 बजे के बीच कार्यवाही का संचालन कर रही है।
दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा के अनुसार, 1993 में दिल्ली में पहली बार विधानसभा चुनावों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना के नेतृत्व में दिल्ली मंत्रिपरिषद ने दिल्ली में निर्वाचित सरकार का पहला बजट पेश किया था, जिसमें सत्र का समय 2 बजे से 5 बजे के बीच तय किया गया था। यह तब से एक परंपरा बन गई है।
शर्मा ने कहा कि हालांकि विशेष अवसरों पर कई विशेष सत्रों को सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित किया गया है, लेकिन दिल्ली विधानसभा ने कभी पूरे दिन के लिए काम नहीं किया है। यह पहला सत्र होगा जब सोमवार सुबह 11 बजे से और शाम 5 बजे तक बजट सत्र आयोजित किया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि 1993 में चुनावों के बाद दिल्ली विधानसभा के पहले अध्यक्ष सी. लाल गोयल ने निर्वाचित मंत्रिपरिषद को सुबह के वक्त वार्षिक बजट पेश करने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना ने कार्यवाही का समय बदलने का अनुरोध किया था। इसके बाद इसे दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक निर्धारित किया गया था। यह तब से एक परंपरा बन गई है।
शर्मा के अनुसार, पूरे सत्र को पूरे एक दिन तक चलाने के लिए निर्वाचित सरकार को चर्चा करने के लिए अपने पास पर्याप्त एजेंडा रखना होगा। दूसरे सत्र में विधानसभा सत्र का संचालन बिना किसी ‘प्रश्नकाल’ के किया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रश्नकाल के नहीं होने पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार को इस कदम के लिए दोषी ठहराया है और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।
बिधुड़ी ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार पर राष्ट्रीय राजधानी के लोगों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर सवालों के जवाब देने की अपनी जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया। विधायकों को 15 दिन पहले विधानसभा सत्र बुलाने के बारे में सूचित किया जाता है ताकि वे लोगों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को उठा सकें।बिधुड़ी ने शुक्रवार को कहा कि यह उन चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिन्हें सरकार से सवाल पूछने के अधिकार से वंचित रखा गया है।
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इस मामले पर बोलते हुए, शर्मा ने कहा कि किसी भी विधायक के लिए, प्रश्नकाल अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को व्यक्त करने का मुख्य अवसर है। यदि प्रश्नकाल सत्र को विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाता है, तो बहस एकपक्षीय हो सकती है।
दिल्ली विधानसभा के सचिव सी. वेलमुरुगन ने आईएएनएस को बताया कि प्रश्नकाल निस्संदेह सत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह निर्वाचित सरकार और अध्यक्ष पर निर्भर है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो वित्त विभाग भी रखते हैं, 9 मार्च को वार्षिक बजट पेश करेंगे।