हिंदू धर्म में अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करके बड़े से बड़े विघ्न को भी आसानी से टाला जा सकता है। साथ ही भगवान गणेश की पूजा का महत्व विनायक चतुर्थी के दिन और भी बढ़ जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 16 अप्रैल को है। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी का महत्व और पूजन-विधि।
विनायक चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है। इसलिए हमारे शास्त्र में विनायक चतुर्थी की महिमा का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का विधि -विधान से पूजन और इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं। जीवन में निरंतर सफलता भी प्राप्त होती है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं।
विनायक चतुर्थी की पूजन-विधि
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं।
उसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें।
भगवान गणेश की पूजा करते वक्त पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करें।
गणपति जी की प्रतिमा के नीचे लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
श्री गणेश के सामने दीपक जलाएं और लाल गुलाब के पुष्प से भगवान को सजाएं।
पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत, गणेश पुराण आदि का पाठ करें।
श्री गणेश को बूंदी से बने हुए 21 मोदकों का भोग लगाएं।
पूजा के बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें।