• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

गुप्त नवरात्रि: आज करें मां भुवनेश्वरी की आराधना, पढ़ें ये कथा

Writer D by Writer D
03/07/2022
in धर्म, Main Slider, फैशन/शैली
0
Maa Bhuvaneshwari

Maa Bhuvaneshwari

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

आज गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का चौथा दिन है. आज भक्त मां भुवनेश्वरी (Maa Bhuvaneshwari) की पूजा अर्चना करेंगे. मां भुवनेश्वरी को संसार भर में यश और ऐश्वर्य के देवी माना जाता है. भुवनेश्वरी आदि शक्ति का पंचम स्वरूप हैं. इसी रूप में मां ने त्रिदेवों को दर्शन दिए थे. मां भुवनेश्वरी को 10 महाविद्याओं में 4 स्थान प्राप्त है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां भुवनेश्वरी ही सम्पूर्ण जगत का पालन पोषण करती हैं. उन्हें जगत धात्री भी कहा जाता है. मां भुवनेश्वरी चौदह भुवनों की स्वामिनी हैं. मां को भगवान शिव (Lord Shiva) की सखी माना गया है. मां भुवनेश्वरी की पूजा लाल रंग के पुष्प, नैवेद्य, चन्दन, कुमकुम, रुद्राक्ष की माला, सिंदूर, फल आदि से करनी चाहिए. पूजा के बाद कथा का पाठ करना चाहिए. पढ़ें मां भुवनेश्वरी की कथा.

मां भुवनेश्वरी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, काल की शुरुआत में ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र जगत की संरचना प्रारंभ कर रहे थे. एक उड़ता हुआ रथ उनके सामने आया और एक आवाज ने उन्हें रथ में बैठने का आदेश दिया. जैसे ही त्रिदेव रथ में बैठे यह मन की गति से उड़ने लगा और उन्हें एक अजीब से स्थान पर लेकर गया. यह स्थान असल में रत्नों का द्वीप था जिसके चारों तरफ अमृत का सागर और मनमोहक आकर्षक जंगल थे. जैसे ही त्रिदेव रथ के बाहर उतरे वह स्त्री स्वरूप में बदल गए. उन्होंने उस द्वीप का अच्छी तरह मुआयना किया वहां उन्हें एक शहर मिला.

उस शहर के चारों तरफ सुरक्षा की 9 परतें थी और इस शहर की सुरक्षा उग्र स्वभाव के भैरव, क्षेत्रपाल, मातृका और दिगपाल कर रहे थे. जैसे ही वह शहर के अंदर गए, शहर का सौंदर्य और विकास देखकर मंत्रमुग्ध हो गए.आखिरकार वे शहर के अंदर स्थित मुख्य राजमहल में पहुंचे जिसका नाम चिंतामणि गृह था और जिसकी सुरक्षा योगिनीयां कर रही थी. यह शहर श्रीपुर था – देवी भुवनेश्वरी की राजधानी जो मणिद्वीप की रानी थी. जैसे ही त्रिदेव महल के अंदर घुसे, उन्हें देवी भुवनेश्वरी के दर्शन हुए.

उनकी छटा लाल रंग की थी. उनकी तीन आंखें, चार हाथ थे तथा उन्होंने लाल रंग के आभूषण पहने थे. उनके शरीर पर लाल चंदन का लेप लगा था तथा उन्होंने लाल कमल की माला पहनी थी. बाए हाथ में उन्होंने अंकुश और पास पकड़ा था तथा दाहिने हाथ से वो अभय और वरदा मुद्रा दिखा रही थी. उनका मुकुट अर्ध चंद्र रुपी मणि द्वारा सुसज्जित था.

वह त्र्यंबक भैरव की बाई गोद में बैठी थी जो श्वेत वर्ण के थे. उन्होंने श्वेत वस्त्र पहने थे उनके बाल उलझे हुए थे तथा उनके सर के ऊपर भी अर्धचंद्र एवं गंगा नदी थी. उनके पांच चेहरे थे तथा हर एक चेहरे में तीन आंखें थी. उनके चार हाथ थे तथा उन्होंने त्रिशूल, फरसे लेने के साथ वरदा और अभय मुद्रा भी प्रदर्शित की हुई थी. देवी भुवनेश्वरी और त्र्यम्बक भैरव पंचप्रेत आसन पर विराजमान थे. पंचप्रेतासन वह सिंहासन है जिसमें परमशिवा गद्दी के रूप में तथा पांच पैरों के स्थान पर सदाशिव, ईश्वर, रुद्र, विष्णु और ब्रह्मा स्थापित है. इन सब की सेवा में अनेक योगिनीयां थी. इनमें से कुछ पंखा डोल रही थी, कुछ कपूर डालकर पान के पत्ते समर्पित कर रही थी, कुछ नए शीशे पकड़ी हुए थी, कुछ घी, शहद और नारियल पानी समर्पित कर रही थी, कुछ माता के बाल का श्रंगार करने के लिए तैयार थी, कुछ देवी के मनोरंजन के लिए नृत्य तथा गायन में लिप्त थी.

त्रिदेव ने वहां पर असंख्य ब्रह्मांड देखे. हर ब्रह्मांड में उनकी तरह ही त्रिदेव थे और यह सब उन्होंने माता भुवनेश्वरी के पैरों के नाखून में ही देख लिया. कुछ ब्रह्माण्ड ब्रह्मा द्वारा बनाए जा रहे थे, कुछ विष्णु द्वारा पाले जा रहे थे तथा कुछ रूद्र द्वारा संहारित किए जा रहे थे. त्र्यंबक (ब्रह्म) की इच्छा शक्ति द्वारा उत्पन्न भुवनेश्वरी ने त्र्यम्बक के तीन स्वरूप बनाए – ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र. इस तरह त्रिदेव त्रयंबक के ही तीन रूप है. तत्पश्चात देवी भुवनेश्वरी ने अपनी शक्तियां त्रिदेव को प्रदान की. ब्रह्म के लिए देवी सरस्वती, विष्णु के लिए देवी लक्ष्मी ,तथा रुद्र के लिए देवी काली का निर्माण किया तथा उन्हें उनकी जगहों पर स्थापित किया.

ब्रह्मा और सरस्वती ने मिलकर एक ब्रह्मांड रूपी अंडा बनाया, रुद्र और काली ने इसे तोड़ा, जिससे पंचतत्व स्वरूप में आए. इसके बाद पंच तत्व का उपयोग कर ब्रह्मा और सरस्वती ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की तथा विष्णु और लक्ष्मी ने इसके पालन पोषण का हर कार्य किया. अंत में रुद्र और काली ब्रह्मांड की समाप्ति की ताकि सरस्वती और ब्रह्मा पुनर्रचना शुरू कर सकें.

Tags: gupt navratri 2022gupt navratri kathagupt navratri pujagupt navratri shubh muhurthindu religionmaa bhuvaneshwaritripur sadhna
Previous Post

03 जुलाई राशिफल: सूर्य की तरह चमकेगा इन राशियों का भाग्य

Next Post

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

Writer D

Writer D

Related Posts

Rinku Singh
Main Slider

रिंकू सिंह को अंडरवर्ल्ड की धमकी, वेस्टइंडीज कनेक्शन से मचा हड़कंप!

09/10/2025
Taliban Foreign Minister Amir Khan Muttaqi visits India
Main Slider

तालिबान मंत्री का भारत मिशन! जयशंकर से मुलाकात, देखेंगे ताजमहल

09/10/2025
Mayawati
Main Slider

मायावती ने सपा को दिया करारा जवाब, योगी की तारीफ से सियासत गर्म!

09/10/2025
Poisonous syrup maker Ranganathan Govindan arrested
Main Slider

मौत का सिरप बेचने वाला अब जेल में, पुलिस ने कंपनी मालिक को दबोचा

09/10/2025
Hair Wash
फैशन/शैली

बालों को शैंपू करते समय रखें ध्यान, दूर हो जाएंगी सभी समस्याएं

08/10/2025
Next Post
chandrashekhar

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

यह भी पढ़ें

Mahadev Gaming App

महादेव गेमिंग ऐप का मालिक दुबई में अरेस्ट, जल्द किया जाएगा डिपोर्ट

13/12/2023
De Tan

गर्मियों में रखें त्वचा का खास ख्याल, आजमाएं ये घरेलू फेस पैक

11/04/2023
Dead Body

छह दिनों से गायब युवक का शव दुकान में मिला

05/11/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version