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इन महीनों में होता है मिसकैरेज का सबसे ज्याद खतरा

Writer D by Writer D
05/03/2025
in फैशन/शैली, स्वास्थ्य
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Miscarriage

Miscarriage

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गर्भधारण करना एक महिला के लिए उसके जीवन के सभी ख़ास पलों में से एक होता है। प्रेगनेंसी (Pregnancy) में सावधानियां बरतने के लिए एक कपल और खासकर महिला हर संभव कोशिश करती है। प्रेग्नेंसी के पहले तीन-चार महीने में भ्रूण के नष्ट होने को मिसकैरेज (Miscarriage) कहते हैं।

मिसकैरेज यानी गर्भपात के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए मां को गलत या जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है। ज्यादातर मामलों में तो मां को मिसकैरेज के कारणों का पता ही नहीं चल पाता है, जो कि इस घटना को और ज्यादा भयावह बना देती है। हाल ही में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि गर्मियों के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं में मिसकैरेज (Miscarriage) का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

स्टडी में यह बात सामने आई है कि जून, जुलाई और अगस्त के महीने में मिसकैरेज होने की सम्भावना ज्यादा होती है। साथ ही अगस्त के महीने में मिसकैरेज रेट फरवरी के मुकाबले 44% ज्यादा पाया गया। अमेरिकी रिसर्चर्स की एक टीम ने 8 साल तक की गई एक स्टडी के दौरान 6000 महिलाओं की प्रेग्नेंसी को ट्रैक किया। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में ऐसी महिलाओं को शामिल किया जो प्रेग्नेंसी प्लान करने की कोशिश कर रही थीं। इन प्रेग्नेंट महिलाओं पर उनकी डिलीवरी होने तक नजर रखी गई।

गर्मी प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकती हैं

विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि मिसकैरेज (Miscarriage) का मुख्य कारण गर्म मौसम के दौरान ज्यादा हीट और लाइफस्टाइल हो सकती है लेकिन उनका यह भी कहना है कि इसके लिए और भी कई स्टडीज होनी जरूरी हैं। एक्सपर्ट ने कहा कि उन महिलाओं में मिसकैरेज का खतरा काफी ज्यादा पाया गया जो बहुत अधिक गर्मी वाली जगहों पर रहती हैं। हालांकि एक्सपर्ट को अभी तक इस बात का पुख्ता यकीन नहीं है कि गर्मी प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन उनका मानना है कि गर्मी के कारण गर्भवती महिलाओं में पानी की कमी के चलते पलेसेंटा के विकास पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही यूट्रस में ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं हो पाता जिस कारण बाकी मौसमों की तुलना में गर्मियों में मिसकैरेज का खतरा काफी ज्यादा होता है।

स्टडी को लेकर बोस्टन विश्वविद्यालय के अध्ययन लेखक डॉ अमेलिया वेसेलिंक ने कहा कि गर्मियों के मौसम में अर्ली मिसकैरेज का खतरा सबसे ज्यादा होता है। साथ ही गर्मियों के दिनों में और भी कई दिक्कतों का खतरा बढ़ जाता है जैसे – समय से पहले बच्चे का पैदा होना, जन्म के समय बच्चे का कम वजन और खासतौर पर गर्भ में ही बच्चे का मरना।

रिसर्चर्स ने उन महिलाओं के सर्वे डाटा का विश्लेषण किया जिन्होंने मिसकैरेज पर डाटा दिया था, इसमें महिलाओं ने बताया कि उनका मिसकैरेज कब हुआ और उनकी डिलीवरी होने में कितना समय बाकी था।

कब और कैसे होता है मिसकैरेज (Miscarriage)

मिसकैरेज प्रेग्नेंसी के पहले 23 हफ्तों के दौरान होता है। मिसकैरेज गर्भावस्था के पहले कुछ महीनों में महिलाओं में बहुत आम है। यही वजह है कि गर्भावस्था के प्रारंभिक चरणों में विशेष रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सभी गर्भधारण में लगभग 10 से 25% महिलाओं को गर्भपात होता है। यद्यपि गर्भावस्था में गर्भपात आम है, फिर भी यह लोगों के लिए विनाशकारी और दर्दनाक अनुभव हो सकता है। मिसकैरेज के आम लक्षणों में शामिल हैं- वजाइनल ब्लीडिंग, पेट के निचले हिस्से में क्रैंप्स या दर्द होना। बहुत से मामलों में महिलाओं को पता भी नहीं होता कि वह प्रेग्नेंट थीं और उनका मिसकैरेज हुआ है।

लगातार तीन से ज्यादा मिसकैरेज को असामान्य माना जाता है और लगभग एक फीसदी महिलाएं इससे प्रभावित होती है। डॉक्टर्स का मानना है कि अधिकतर मिसकैरेज बच्चे में असामान्य क्रोमोसोम्स के कारण होते हैं।

मिसकैरेजेस (Miscarriage) को रोका नहीं जा सकता लेकिन प्रेग्नेंट होने पर कुछ सावधानियां बरती जा सकती है।

– गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की दवाई के सेवन से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ले लीजिए।
– अपने चिकित्सक से परामर्श करें और हर दिन प्रसव पूर्व विटामिन और फोलिक एसिड की खुराक लें।
– एक बार गर्भपात होने के बाद आप दूसरी गर्भावस्था के लिए प्रयास करने से पहले अपने गायनोलॉजिस्ट से परामर्श लें।

Tags: chances of miscarriagehealth researchhealth tipsHealthy livingmiscarriagepregnancyPregnant womenwomen Health
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