हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि बहुत विशेष मानी गई है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित की गई है। आमतौर पर साल में एकादशी के 24 व्रत पड़ते हैं। जिस साल अधिक मास या मलमास होता है, उस साल 26 एकादशी व्रत पड़ते हैं।सभी एकादशी व्रत के अपने महत्व और लाभ हैं। चैत्र माह की कृष्ण पक्ष पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) कहलाती है। इस दिन विधि-पूर्वक भगवान विष्णु का पूजन और व्रत किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने से पापों का नाश हो जाता है। पापमोचनी एकादशी व्रत करने से मोक्ष मिलता है। जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहताा है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही इस दिन तुलसी के कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन तुलसी के उपाय करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाल रहता है।
कब है पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च को सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस एकादशी तिथि का समापन अगले दिन यानी 26 मार्च को तड़के 3 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा। हिंदू धर्म में व्रत उदया तिथि को देखते हुए रखा जाता है। ऐसे मेंउदयातिथि के अनुसार, पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च रखा जाएगा।
पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) पर तुलसी के उपाय
>> हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी जी माता लक्ष्मी का ही रूप हैं। माता लक्ष्मी का तुलसी में वास भी है। इसलिए पापमोचनी एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। उनके सामने दिया जलाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णप के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है।
>> इस दिन तुलसी के पौधे में कलावा बांधकर खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।
>> इस दिन तुलसी माता को सुहाग का सामान और लाल चुनरी अवश्य चढ़ानी चाहिए। ऐसा करने से शादीशुदा जीवन में प्यार बना रहता है।
इन बातों का रखें ध्यान
पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi) के दिन भूलकर भी माता तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इतना ही नहीं इस दिन भूलकर भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करने भगवान विष्णु नााराज हो सकते हैं।