हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में पूजा जाता है। पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि देव की शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है। कहते हैं यह किसी एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव जिस किसी पर रहता है उसके जीवन में उसे कई तरह की परेशानियां और कष्ट मिलते हैं। ऐसे में अगर आपको शनि दोष से छुटकारा पाना है, तो शनि जयंती के दिन सबसे अच्छा दिन है। मान्यता है कि इस दिन कुछ खास उपाय करने से व्यक्ति को शनि के साढ़े साती और ढैय्या से जल्द मुक्ति मिल सकती है।
शनि जयंती (Shani Jayanti) कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, जेष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी।
ऐसे करें शनि देव को प्रसन्न
शनि जयंती के दिन शनि चालीसा के साथ हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा एक पात्र में सरसों के तेल लें और उसमें अपनी छाया देखें। फिर उस तेल का दान कर दें। कहते हैं ऐसा करने से शनि ग्रह से जुड़ी समस्याओं से राहत मिल सकती है।
शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन इन चीजों का करें दान
शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन शनि देव से जुड़ी चीजों का दान करना भी काफी शुभ माना जाता है। इस दिन पर गरीबों व जरूरतमंद लोगों के बीच काले तिल, काली उड़द की दाल, तेल और जूते-चप्पल आदि का दान करना चाहिए।
शनि जयंती (Shani Jayanti) के दिन ना करें ये गलतियां
शनिदेव को कर्म फल दाता कहा जाता है। कहते है कुछ गलतियां ऐसा भी होती है जिसके चलते शनि देव आपसे क्रोधित हो सकते हैं।कहते हैं जो लोग बुजुर्गों और महिलाओं का अपमान करते हैं, दूसरों के साथ छल-कपट करते हैं या बेजुबानों को परेशान करते हैं,उन्हें कभी भी शनि देव की कृपा की प्राप्ति नहीं होती।
इन मंत्रों का करें जप
शनि बीज मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।। शनि गायत्री मंत्र – ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि । “ॐ शं शनैश्चराय नमः” “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” “ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।