जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत (Jitiya Vrat) भी कहा जाता है, माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। तीन दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत में माताएं निर्जला उपवास करती हैं। व्रत के दौरान और पारण के बाद भी कई तरह के नियम और परंपराएं निभाई जाती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण परंपरा है व्रत में पहने जाने वाले जितिया धागे का विसर्जन। बहुत सी माताओं को यह जानकारी नहीं होती कि व्रत के बाद इस धागे को कहां और कैसे विसर्जित करना चाहिए। आइए जानते हैं इस धागे के सही विसर्जन से जुड़े नियम।
क्या है जितिया (Jitiya) का धागा?
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) में एक विशेष धागा या डोरी पहनी जाती है, जिसे जितिया धागा कहते हैं। यह धागा आमतौर पर रेशम या सूती होता है और इसमें कुछ गांठें लगी होती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं इसे पूजा के दौरान भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद अपने गले या हाथ में धारण करती हैं। इस धागे को संतान की सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है और इसे पूरे व्रत के दौरान धारण किया जाता है।
व्रत के बाद कब और कैसे उतारें धागा?
जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का पारण करने के बाद ही इस धागे को उतारा जाता है। व्रत का पारण करने से पहले धागे को नहीं उतारना चाहिए, क्योंकि यह व्रत का एक अभिन्न अंग होता है। पारण करने के बाद, माताएं इस धागे को श्रद्धापूर्वक अपने गले या हाथ से उतार सकती हैं। इस धागे को उतारते समय मन में संतान की लंबी आयु और कल्याण की कामना करनी चाहिए।
धागा विसर्जन के सही नियम
नदी या तालाब में विसर्जन: जितिया धागे को विसर्जित करने का सबसे उत्तम स्थान किसी पवित्र नदी या तालाब का जल होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जल में विसर्जित करने से इस धागे में समाहित सकारात्मक ऊर्जा प्रकृति में वापस मिल जाती है। इसे प्रवाहित करते समय भगवान सूर्य और जीवित्पुत्रिका देवी से अपनी संतान के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
पीपल के पेड़ के पास: अगर आपके आस-पास कोई नदी या तालाब नहीं है, तो आप इस धागे को किसी पीपल के पेड़ के नीचे रख सकते हैं। पीपल का पेड़ पूजनीय माना जाता है और इसे देवस्थान के समान माना जाता है। धागे को पेड़ की जड़ के पास रखने से भी व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है।
क्या न करें?
कूड़ेदान में न फेंके: जितिया धागे को कभी भी कूड़ेदान या किसी भी अपवित्र स्थान पर नहीं फेंकना चाहिए। यह व्रत की पवित्रता और आस्था का अपमान माना जाता है। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो सकता है।
घर में न रखें: इस धागे को लंबे समय तक घर में किसी कोने में नहीं रखना चाहिए। व्रत के तुरंत बाद ही इसे विधिपूर्वक विसर्जित कर देना चाहिए।
जलाएं नहीं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी पूजनीय वस्तु को जलाना उचित नहीं माना जाता है। धागे को जलाने से बचें।









