लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत निगम (UP State Electricity Corporation) ने अनपरा-ई और ओबरा-डी के लिए एनटीपीसी (NTPC) को डीपीआर बनाने के लिए कंसलटेंट रखा। इसके बाद उसी ने उसका मालिकाना हक पाने के लिए एमओयू (MoU) कर लिया। इसको विद्युत उपभोक्ता परिषद ने देश का अनोखा मामला बताया है। इसके साथ ही उसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि इससे उपभोक्ताओं के लिए घाटे का सौदा होगा। उन्होंने एमओयू पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई और कहा कि सरकार यदि उपभोक्ताओं का हित वास्तव में चाहती है तो इस प्रोजेक्ट को उत्पादन निगम को बनाने के लिए दे, जिससे बिजली (Electricity) सस्ती उपलब्ध हो सकेगी।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (UP State Electricity Corporation) के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि राज्य सेक्टर की उत्पादन इकाई उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम यदि इन दोनों पावर हाउस को लगाएगी तो उससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में उत्तर प्रदेश को सस्ती बिजली उपलब्ध होगी। इसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को व्यापक रूप से लाभ मिलेगा। वर्तमान में केवल दो प्रतिशत रिटर्न ऑफ एक्युटी यानी लाभ पर काम करने वाली उत्पादन निगम प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए 2.50 रुपये से तीन रुपये प्रति यूनिट तक की बिजली पैदा कर रहा है। जो बहुत ही सस्ती बिजली है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यदि एनटीपीसी इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगा तो निश्चित तौर पर पांच रुपये प्रति यूनिट के ऊपर यह बिजली प्रदेश को उपलब्ध होगी। ऐसे में यह उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए बहुत बड़ा घाटे का सौदा है। सबसे बड़स चौंकाने वाला मामला यह है कि अनपरा-ई और ओबरा-डी कोल खदानों के मुहाने पर खड़ा है, जहां पानी की उपलब्धता है। ऐसे लाभकारी प्रोजेक्ट को कोई भी सरकार दूसरे संस्थान को कैसे दे सकती है?
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जिस एनटीपीसी को उत्पादन निगम ने स्वयं का उत्पादन गृह लगाने के लिए कंसलटेंट रख छोड़ा हो। वही मालिकाना हक प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ गई, जो इंसाइडर ट्रेडिंग का बड़ा मामला है। उपभोक्ता परिषद उत्तर प्रदेश सरकार से तत्काल पुनर्विचार करने की अपील की है। विगत दिनों देश की नवरत्ना कंपनी एनटीपीसी के साथ उत्तर प्रदेश ऊर्जा मंत्री (AK Sharma) की उपस्थिति में अनपरा-ई और ओबरा-डी के मामले में 800 व 800 मेगा वाट की दो इकाइयों का एमओयू किया गया।