नई दिल्ली। भारत में रविवार को अफगानिस्तान के दूतावास (Embassy of Afghanistan) का बंद करने का फैसला लिया गया है। अफगानिस्तान में तख्तापलट और तालिबान शासन के आने के बावजूद भारत में पुरानी सरकार का दूतावास (Afghan Embassy) काम कर रहा था। इस दूतावास को बंद करने के पीछे मेजबान सरकार से समर्थन की कमी और अफगानिस्तान के हितों की पूर्ति की अपेक्षाओं को पूरा न कर पाने का हवाला दिया गया।
दूतावास (Afghan Embassy) को बंद करने को लेकर एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान (Islamic Republic of Afghanistan) के दूतावास ने रविवार से भारत में अपने परिचालन को बंद करने का फैसला किया है। बयान में कहा गया, ‘बेहद दुख, अफसोस और निराशा के साथ नई दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास अपना परिचालन बंद करने के इस फैसले की घोषणा करता है।’ आगे कहा गया कि ‘दूतावास ने मेजबान सरकार से महत्वपूर्ण समर्थन की उल्लेखनीय कमी का अनुभव किया है, जिससे हमारी क्षमता और कर्तव्य में प्रभावी ढंग से बाधा पैदा हुई।’
दूतावास (Afghan Embassy) ने कहा कि यह निर्णय बेहद अफसोसजनक है। बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और दीर्घकालिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया गया। इसके अलावा दूतावास ने भारत में राजनयिक समर्थन (Diplomatic Support) की कमी का जिक्र किया। यह भी कहा गया कि हम भारत में राजनयिक समर्थन की कमी और काबुल में वैध सरकार की अनुपस्थिति के कारण अफगानिस्तान और उसके नागरिकों के सर्वोत्तम हितों की सेवा के लिए आवश्यक अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने में अपनी कमियों को स्वीकार करते हैं।
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राजनयिकों के लिए वीज़ा नवीनीकरण (Visa Renewal) से लेकर सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी के कारण हमारी टीम में निराशा पैदा हुई और नियमित कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की हमारी क्षमता बाधित हुई। दूतावास की ओर से यह बयान तब आया है जब अफगान दूतावास के राजदूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिक भारत छोड़कर यूरोप और अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने शरण ली।