उत्तर प्रदेश में इटावा की एक अदालत ने स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) के रिटायर्ड सहायक प्रबंधक को घोटाला करने के आरोप में 20 साल बाद पांच साल की कैद की सजा सुनायी है।
जिले मे सीजेएम कोर्ट ने 20 साल बाद एसबीआई से सेवानिवृत्त सहायक प्रबंधक सुदर्शन लाल मौर्या को घोटाले का आरोप साबित होने पर पांच साल की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी सहायक प्रबंधक को यह सजा पुलिस की जबरदस्त पैरवी के चलते सुनाई गई है।
एसएसपी डा.ब्रजेश कुमार सिंह ने आज यहॉ बताया कि बैंक के कागजातों से छेड़छाड़, फर्जी हस्ताक्षर बनाकर बैंक के अकाउंट से एक लाख रुपये का गबन करने के आरोप में पांच साल की सजा सुनाई गई। साथ ही प्रबंधक पर 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाते हुए दोषी को जेल भेजा गया।
डा सिंह ने बताया कि चार सितंबर 2001 को फ्रेंड्स कालोनी के रामनगर शाखा की भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता ने सिविल लाइन थाने में सहायक प्रबंधक सुदर्शन लाल मौर्या के खिलाफ तहरीर दी थी । आरोप था कि सहायक प्रबंधक ने फर्जी हस्ताक्षर बनाकर, कागजातों से छेड़छाड़ कर खाताधारक राम सिंह के बैंक अकाउंट से करीब एक लाख रुपये की निकासी की। पुलिस ने आरोपी सहायक प्रबंधक के खिलाफ धोखाधड़ी, कागजातों में हेराफरी कर रुपये निकासी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई।
21 नवंबर 2001 को आरोपी सहायक प्रबंधक सुदर्शन लाल ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। मामले में विवेचना अधिकारी ने साक्ष्य एकत्र कर आरोप पत्र एक दिसंबर 2001 को कोर्ट में पेश किया। थाना सिविल लाइन की पुलिस टीम, मानिटरिंग, पैरवी सैल व अभियोजन अधिकारी अनार सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए समयानुसार गवाहों व अन्य साक्ष्यों को कोर्ट में पेशकर पैरवी की।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिलीप कुमार सचान ने फ्रेंड्स कालोनी 118 निवासी सेवानिवृत्त सहायक प्रबंधक सुदर्शन लाल मौर्या को पांच साल की सजा सुनाई। साथ ही 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसके बाद जेल भेजा गया।