लखनऊ। निकाय चुनाव (Nikay Chunav) में समाजवादी पार्टी (SP) के घोषित उम्मीदवारों की सूची को परिवारवाद और जातिवाद की छवि से ऊपर उठकर देखा जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इसमें एक भी ऐसा उम्मीदवार नहीं घोषित किया है, जिसको लेकर सत्ता दल भाजपा आरोप लगाता आता है।
दरअसल अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) निकाय चुनाव में मेयर पद के लिए गोरखपुर से काजल निषाद, लखनऊ से वंदना मिश्रा, प्रयागराज से अजय श्रीवास्तव, झांसी से सतीश जतारिया, मेरठ से सीमा प्रधान, शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा, फिरोजाबाद से मशरुर फातिमा, अध्योया से डॉ आशीष पांडेय व कानपुर से वंदना बाजपेयी को उम्मीदवार घोषित किया है। इसके अलावा कुछ पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत के उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए हैं।
इस सूची में एक भी यादव और मुख्यमंत्री के स्वाजातीय लोगों को नहीं शामिल किया गया है। इसको लेकर अब राजनीतिक दलों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व सेमीफाइनल चुनाव की तैयारियों को लेते हुए सपा निकाय चुनाव में उतर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार अंजनी निगम ने बताया कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने जिन उम्मीदवारों की घोषित किया है उससे लगता है कि वह सत्ता दल के साथ-साथ जनता में संदेश देना चाहते हैं कि अब पार्टी में जातीय समीकरण की कोई जगह नहीं है। ऐसे कार्यकर्ताओं को ही पार्टी में टिकट दी जाएगी, जो सक्रिय हैं और जनता के बीच उनकी पकड़ है।
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उम्मीदवारों को लेकर अखिलेश (Akhilesh Yadav) खुद भी जमीनी स्तर पर जानकारी जुटा रहे हैं ताकि भाजपा को कोई मौका न मिलने पाए। हालांकि जिन उम्मीदवारों को मेयर का टिकट दिया गया है, उनमें कुछ मौजूदा विधायक की पत्नियां हैं या पूर्व में विधायक रहे हैं। अखिलेश यादव का जातिवाद से उठना आने वाले राजनीति और सपा के लिए बेहतर संदेश है।