वॉशिंगटन। चीन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच प्रस्तावित निवेश समझौते पर सहमति बनने के बावजूद इस पर दस्तखत का कार्यक्रम फिलहाल टल गया है। बाइडन के मनोनीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान ने संदेश भेजा कि अगला अमेरिकी प्रशासन अपने यूरोपीय पार्टनर्स के साथ आर्थिक मसलों पर चीन को लेकर मौजूद साझा चिंताओं पर जल्द से जल्द विचार-विमर्श करना चाहता है।
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करार की शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए ईयू के व्यापार वार्ताकार वाल्दिस दोमब्रोवस्किस और चीन के व्यापार वार्ताकार लिउ ही की बैठक भी तय हो गई थी, लेकिन ये बैठक टाल देनी पड़ी। पहले खबर आई कि ब्रेक अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की टीम ने लगाया है। ये आशंका पहले से जताई जा रही थी कि अगर ईयू ने अलग से समझौता कर लिया तो यह कदम चीन के मामले में यूरोप के साथ मिलकर साझा रणनीति बनाने की निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन की इच्छा के खिलाफ होगा।
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रीस्टर ने कहा कि व्यापार समझौतों का उपयोग सामाजिक मुद्दों पर प्रगति के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस समझौते पर सहमति बनी है, उससे चीन के बाजार तक ज्यादा पहुंच तो बनेगी, लेकिन उससे यूरोपीय निवेश को सुरक्षा नहीं मिलेगी। रीस्टर ने कहा कि चीन में अचानक राष्ट्रीयकरण की संभावना से यूरोपीय कंपनियों को सुरक्षा देना बहुत अहम है। रीस्टर ने दावा किया कि बेल्जियम, लग्जमबर्ग और नीदरलैंड्स भी इस मामले में फ्रांस के रुख के साथ हैं।
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इन खबरों के बाद फ्रांस ने साफ एलान कर दिया कि वह चीन के साथ होने वाले निवेश समझौते का समर्थन नहीं करेगा। फ्रांस के व्यापार उप मंत्री फ्रैंक रीस्टर ने पेरिस के अखबार ला मोंड से कहा- अगर जबरिया मजदूरी खत्म करने की दिशा में हम नहीं बढ़ सकते तो फ्रांस को चीन में निवेश सुविधा प्राप्त करने में कोई रुचि नहीं है। उसके बाद फ्रांस और पोलैंड ने इसे वीटो करने का एलान कर दिया। जबकि पहले इस करार पर इसी हफ्ते दस्तखत होने की संभावना जताई गई थी।