मुंबई। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर ज़मीन पर भगवान को साक्षात देखना हो तो वो लता जी (Lata Mangeshkar) हैं। अमिताभ बच्चन का लता मंगेशकर से विशेष अनुराग रहा है। अमिताभ हमेशा लता जी के प्रति आत्मीय और आदर करने वाले इंसान रहे। ऐसा ही स्नेह उन्हें लता जी से मिलता रहा।
लेकिन रविवार की शाम जब मुंबई के शिवाजी पार्क में लता जी (Lata Mangeshkar) का अंतिम संस्कार (Funeral) हुआ तो कई लोगों को उम्मीद थी कि अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) भी उन्हें अंतिम प्रणाम करने वालों की कतार में होंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। अमिताभ नहीं आए। सिनेमा जगत, साहित्य, राजनीति, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र के कई नामचीन लता को अंतिम विदा दे रहे थे लेकिन अमिताभ इनमें शामिल नहीं थे।
हालांकि अमिताभ लता जी के पार्थिव शरीर का दर्शन करने उनके आवाज पर दोपहर बाद ही हो आए थे। अमिताभ के साथ उनकी बेटी श्वेता बच्चन भी मौजूद थीं। दोनों ने लता मंगेशकर के आवास पर जाकर उन्हें अपना अंतिम प्रणाम किया।
ऐसा भी नहीं है कि अमिताभ बच्चन किसी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होते। पिछले महीनों दिलीप कुमार के अंतिम संस्कार में अमिताभ बच्चन अपने बेटे अभिषेक के साथ मौजूद थे। फिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि अमिताभ अपनी दीदी के अंतिम संस्कार में नहीं आए।
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बच्चन परिवार के करीबी सूत्रों की मानें तो ऐसा नहीं है कि अमिताभ लता जी के अंतिम संस्कार में जाना नहीं चाहते थे। लेकिन ऐसी कुछ मजबूरी थी कि अमिताभ को अंतिम विदा के वक्त अपने कदम रोक लेने पड़े।
सूत्रों के मुताबिक अमिताभ को ऐसी सलाह उनके डॉक्टर्स की ओर से दी गई है कि वो भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें।
हालांकि इस बारे में न तो बच्चन परिवार की ओर से कोई बयान या स्पष्टीकरण आया है और न ही इसकी पुष्टि की जा सकी है। लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि डॉक्टरों ने अमिताभ को पिछले कुछ समय के दौरान किसी सार्वजनिक जगह पर, खासकर जहां भीड़ हो या बड़ी तादाद में लोग मौजूद हों, ऐसे अवसरों से बचने की सलाह दी है।
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पिछले कुछ वर्षों के दौरान अमिताभ बच्चन कुछ स्वास्थ्यगत स्थितियों से गुजरे हैं। कोरोना काल में भी उनकी तबीयत बिगड़ी थी और उन्हें उपचार की ज़रूरत पड़ी थी। बताया जा रहा है कि इसी के बाद डॉक्टरों ने उन्हें हिदायत दी कि मौजूदा स्थिति में उन्हें ऐसे अवसरों से बचना होगा।
अमिताभ शायद इसीलिए लता दीदी को विदाई देने शिवाजी पार्क नहीं पहुंचे। उन्होंने चुपचाप उनके घर जाकर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करना सही समझा।