मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी उत्पन्न हुईं। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चांदनी से अमृत बरसता है। इस रात चंद्रमा की किरणों को आरोग्यकारक कहा गया है। इसलिए इस रात्रि कुछ ना कुछ समय चंद्रमा के प्रकाश में अवश्य रहना चाहिए। लोग खीर बनाकर कुछ समय रात्रि में छत पर रखते हैं ताकि उन्हें चंद्रमा की किरणों से ऊर्जित किया जा सके। महर्षि वाल्मीकि का जन्म भी शरद पूर्णिमा को हुआ था।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) पर मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर आती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। मां लक्ष्मी को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। मखाना, सिंघाड़ा, कमल का फूल, पान के पत्ते, सुपारी, इलायची और सफेद कौड़ी पूजा में शामिल करें। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रातभर अमृत बरसाता है।
मान्यता के अनुसार इस रात्रि में चंद्रमा के प्रकाश में औषधीय गुण मौजूद रहते हैं जिनमें कई असाध्य रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। इस रात्रि जागरण करने के बाद शयन से पहले भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी का नाम अवश्य लेना चाहिए। इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करने से सभी कर्जों से मुक्ति मिलती हैं इसीलिए इसे कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा की रात्रि को श्रीसूक्त पाठ, कनकधारा स्तोत्र, विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करने से विशेष लाभ होता है। शरद पूर्णिमा की रात हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। शरद पूर्णिमा पर धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए।
सूर्यास्त से पहले दान-दक्षिणा करना चाहिए। इस दिन महिलाएं सूर्यास्त के बाद बालों में कंघी न करें। मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग के फूल, इत्र, सुंगध अवश्य अर्पित करें। इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा का आशीष प्रदान करती हैं।