आंध्र प्रदेश। आंध्रप्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूल-कॉलेजों को अपने अधिकार में लेने का फैसला करते हुए 90 प्रतिशत से अधिक सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों को अपने कब्जे में ले लिया है, और अब उन्हें सरकारी संस्थानों के रूप में चलाया जाएगा।
आयुक्त महाविद्यालय शिक्षा एवं निदेशक स्कूल शिक्षा की तरफ से सोमवार को अनुदान सहायता संस्थानों और उनके स्टाफ को अटैच करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है।
शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी
शिक्षा मंत्री आदिमुलपु सुरेश ने कहा कि, अनुदान सहायता संस्थानों द्वारा कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए कर्मचारियों को फिर से नियुक्त किया जाएगा और उन्हें उन कॉलेजों और स्कूलों में भेजा जाएगा जहां उनकी आवश्यकता होगी।
वहीं इस फैसले के बारे में बताते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा था कि, सरकारी संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता निजी संस्थानों के बराबर है और इसलिए सहायता प्राप्त-निजी प्रतिष्ठानों की कोई आवश्यकता नहीं है। वो या तो उन्हें बंद कर देंगे और कर्मचारियों को अन्य सरकारी संस्थानों में फिर से तैनात करेंगे, या पर्याप्त छात्र होने पर राज्य उन्हें चलाएगा।
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सरकार ने दिए तीन विकल्प
शिक्षा मंत्री ने बताया कि, सरकार ने इन संस्थानों अपने अधिकार में लेने के तीन विकल्प दिए थे। जिसमें पहला स्वेच्छा से अनुदान सहायता से वापस लेना, दूसरा सरकार को अपनी संपत्ति सौंपना और तीसरा संस्थानों को निजी निकायों के रूप में चलाते रहना है। मंत्री ने कहा कि कई संस्थानों ने सहायता अनुदान का दर्जा छोड़ दिया है और अपने कर्मचारियों को सौंप दिया है, जबकि कुछ ने अपनी संपत्ति भी छोड़ने पर सहमति जताई है। जो संस्थान इनमें से किसी भी विकल्प को स्वीकार नहीं करते हैं, उनकी मान्यता समाप्त हो जाएगी।
निजी शिक्षण संस्थानों की हालत खराब
वहीं एक अधिकारी ने कहा कि ज्यादातर सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों की हालत खराब है। सरकार से पैसे लेने के बावजूद प्रबंधन छात्रों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी के आउटलेट आदि जैसी बेहतर सुविधाएं बनाने को तैयार नहीं है। राज्य सरकार सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को अनुदान के रूप में 500 करोड़ रुपए प्रदान करती है, इसके अलावा मिड-डे मील योजनाओं और पात्र छात्रों के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति पर खर्च करती है। शिक्षा विभाग पहले ही 150 डिग्री कॉलेजों, 122 जूनियर कॉलेजों और सरकारी सहायता प्राप्त 2,500 से अधिक स्कूलों को सूचित कर चुका है कि वो उन्हें अपने कब्जे में ले लेगा।