दुनिया भर में एंटीवायरस के गुरु कहे जाने वाले जॉन मैकेफी ने बुधवार को जेल में फांसी लगा ली। 75 वर्षीय जॉन को स्पेन से अमेरिका प्रत्यर्पित करने के मामले में फैसला आने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया।
बुधवार को ही उनके वकील ने इस फैसले की जानकारी दी थी। टैक्स चोरी के मामलों को लेकर उन्हें अमेरिका को सौंपने के आदेश दे दिए गए हैं। हालांकि जॉन के पास अदालती फैसले के खिलाफ अपील करने के विकल्प बचे हुए थे। मैकेफी के सुसाइड करने के बाद जेल प्रशासन ने कहा कि उनके मौत के कारणों के बारे में छानबीन जारी है।
मैकेफी को पिछले साल अक्टूबर में बार्सिलोना के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था और तब से वह प्रत्यर्पण की कार्रवाई के चलते जेल में थे। गिरफ्तारी के बाद मैकफी पर कर चोरी करने का आरोप लगाया गया था। मैकफी पर आरोप थे कि उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी को प्रमोट करने के दौरान हुई आमदनी के बारे में जानकारी नहीं दी।
मैकेफी के वकील निशाय सनन ने कहा कि मैकेफी को हमेशा परिस्थितियों का सामना करने वाले शख्स के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने इस देश से प्यार करने की कोशिश की, लेकिन अमेरिकी सरकार ने उनके अस्तित्व पर सवालिया निशान लगाने की कोशिश की। सनन ने कहा- सरकार ने मैकेफी को मिटाने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे।
मैकेफी ने साल 1987 में एंटीवायरस कंपनी की स्थापना की। साल 1986 में ब्रेन नाम के कंप्यूटर वायरस ने लोगों को परेशान करना शुरू किया। इसके बाद मैकफी ने एक प्रोग्रैमर को कहा कि वह कोई कोड लिखना चाहते हैं, ताकि वायरस का मुकाबला हो सके। उन्होंने इस प्रोग्राम को वायरस स्कैन नाम दिया और कंपनी का नाम रखा मैकेफी एसोसिएट्स।
मैकेफी की ऑटोबायोग्राफी पर काम कर रहे स्टीव मॉर्गन ने कहा कि वह न केवल एक सिक्योरिटी टेक्नॉलॉजिस्ट थे, बल्कि इंटरनेट पर सॉफ्टवेयर डिस्ट्रीब्यूट करने वालों में से एक थे।