उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरूवार को कहा कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कवि और साहित्यकार की संवेदनशीलता को राजनीति में भी अक्षुण्ण रखा।
साइंटिफिक कन्वेंशन सेण्टर में अटल बिहारी वाजपेयी की जयन्ती की पूर्व संध्या पर अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘काव्य संध्या‘ से पहले श्री योगी ने कहा “ अटल जी ने वर्ष 1957 में राजनीति में पदार्पण किया और वर्ष 2006 तक सक्रिय रूप से भारतीय राजनीति को प्रभावित किया। वे लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहे। चाहे वे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में, वे हमेशा लोकप्रिय रहे। जनमानस अटल जी से जुड़ा रहा है।”
उन्होने कहा कि अटल ने यह बताया कि राजनीति मूल्यों और आदर्शों की होनी चाहिए तथा इसे अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से प्रचारित व प्रसारित भी किया। सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ उनकी स्मृतियां और संस्मरण लोगों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे। सार्वजनिक जीवन में आदर्शों व मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध होकर हम अटल को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल की कविताएं राष्ट्रवाद, सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्य व आदर्शों के साथ-साथ संघर्ष का प्रतीक हैं। उन्होंने जो सपना देखा था, वह आज साकार हो रहा है। डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहयोगी व सहायक के रूप में अटल ने कार्य किया था। कश्मीर में धारा-370 समाप्त की जा चुकी है, इससे डाॅ मुखर्जी का संकल्प पूरा हुआ है।
उन्होने कहा कि जब योग्य लोग सार्वजनिक जीवन में परम्परा और संस्कृति के साथ प्रतिबद्धताओं को दोहराते हैं, तो उसके सुपरिणाम मिलते हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अटल की देन थी। इस योजना के माध्यम से आज गांव पक्के मार्गों से जुड़ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,अटल जी की परम्परा का वहन करते हुए प्रतिबद्ध होकर देश और जनता की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव हमारी अर्थव्यवस्था का आधार रहे हैं। पक्के मार्गों और विद्युत की उपलब्धता से किसान लाभान्वित हुए और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। स्वच्छ भारत मिशन के तहत व्यापक स्तर पर शौचालयों का निर्माण हुआ, जिससे नारी गरिमा का सम्मान हुआ। इस मिशन के तहत पूर्वांचल, जो इंसेफलाइटिस से पूर्व में प्रभावित होता था, वहां पर मृत्यु में 95 प्रतिशत की कमी आयी। वर्तमान केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों को बगैर किसी भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए लागू किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि अयोध्या की पहचान ‘दीपोत्सव’ से रही है। यह हमारी सनातन आस्था का केन्द्र बिन्दु रहा है। वहां पर दिव्य एवं भव्य ‘दीपोत्सव’ की परम्परा विगत 03 वर्षों से जारी है। इसी प्रकार, वाराणसी में ‘देव दीपावली’ का भी आयोजन किया गया है।