नई दिल्ली। भारत सरकार ने शुक्रवार को 14 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन, जिसमें निमेसुलाइड और पेरासिटामोल के साथ-साथ क्लोफेनिरामाइन मैलेट और कोडीन सिरप सहित 14 दवाइयों (Medicines) पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को आदेश जारी किया था। मंत्रालय का कहना है कि इन दवाइयों का कोई चिकित्साई औचित्य नहीं है। बल्कि, इससे जनता को खतरा है।
प्रतिबंधित दवाओं (Medicines) में सामान्य संक्रमण, खांसी और बुखार के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां शामिल हैं, जिसे एक्सपर्ट्स के राय पर हटाया गया है। इन दवाइयों (Medicines) पर लगाया प्रतिबंध-
निमेसुलाइड + पेरासिटामोल गोलियां
क्लोफेनिरामाइन मैलेट + कोडीन सिरप
फोल्कोडाइन + प्रोमेथाजीन
एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन
ब्रोमहेक्सिन + डेक्स्ट्रोमेथोर्फन + अमोनियम क्लोराइड + मेन्थॉल
पेरासिटामोल + जैसे संयोजन ब्रोमहेक्सिन+ फिनाइलफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुआइफेनेसिन और सालबुटामोल + ब्रोमहेक्सिन
क्या होता है एफडीसी
एक्सपर्ट कमेटी का कहना है कि इन दवाइयों (Medicines) का असल में कोई डॉक्टरी औचित्य नहीं है। फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन के कारण आदमी को नुकसान भी हो सकता है। जनहित को देखते हुए हमें इन दवाइयों के निर्माण, बिक्री और सप्लाई पर रोक लगाना पड़ा। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद 26 ए के तहत एफडीसी पर रोक लगाई गई है।
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एक्सपर्ट कमेटी और ड्रग टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिशों के बाद केंद्र सरकार दवाइयों के निर्माण, बिक्री और सप्लाई पर रोक लगाकर संतुष्ट है। एसडीसी ड्रग्स का मतलब है कि दो और दो से अधिक दवाइयों को तय अनुपात में इस्तेमाल करना होता है।
पहले भी प्रतिबंध लगा चुकी है सरकार
इससे पहले साल 2016, में भारत सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी की सलाह पर 366 ड्रग्स के जोड़ों की बिक्री, निर्माण और उनके सप्लाई पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वत संज्ञान लिया था और कहा था कि बिना किसी वैज्ञानिक डाटा के यह दवाइयां मरीजों को बेची जा रही है, जिसके बाद सरकार ने उनपर लगा दी थी। हालांकि, निर्माताओं ने कोर्ट में इस मामले में चुनौती दी थी।