मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी में साढ़े 13 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले रामकथा संग्रहालय में श्रद्धालु 270 डिग्री प्रोजेक्शन मैपिंग, होलोग्राफिक इमेजिंग, एलईडी वाॅल के जरिये श्रीराम के जीवन दर्शन का लाभ ले सकेंगे।
पर्यटन मंत्री डॉ.नीलकंठ तिवारी ने सोमवार को यहां पर्यटन निदेशालय के सभागार में अयोध्या स्थित रामकथा संग्रहालय की योजना की समीक्षा की। केन्द्र सरकार के म्यूजियम ग्राण्ट स्कीम के तहत रामकथा संग्रहालय में राम कथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन के लिये 13.48 करोड़ की योजना स्वीकृत की गयी है, जिसमें से आठ करोड़ का अनुदान केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय वहन करेगा जबकि शेष धनराशि प्रदेश सरकार देगी।
डा तिवारी ने बताया कि रामकथा संग्रहालय में चार गैलरी प्रस्तावित है, जिसमें 270 डिग्री प्रोजेक्शन मैपिंग, होलोग्राफिक इमेजिंग, एलईडी वाॅल इत्यादि के माध्यम से प्रभु श्रीराम की जीवनी दर्शायी जाएगी। प्रत्येक गैलरी में 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी तथा प्रति गैलरी में लगभग 10 मिनट का प्रभु श्रीराम के जीवन काल के प्रसंगो पर आधारित कथा का प्रदर्शन होगा।
पर्यटन मंत्री ने सुझाव दिया कि रामचरितमानस का पूर्ण अध्ययन करने के बाद ही रामकथा पर आधारित डिजिटल इन्टरवेन्शन का कार्य किया जाना उचित होगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या का समग्र इतिहास आध्यात्मिक, पौराणिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समझना अत्यन्त आवश्यक है।
उन्होने कहा “ हमारी ऐतिहासिक धरोहरों की तरफ पर्यटकों को आकर्षित किए जाने के लिये विकसित किया जाना आवश्यक है, मगर धरोहरों को बिना नुकसान पहुँचाए, उस स्थान का विकास किया जाना चाहिए। जो भी विकास कार्य हो, वह उत्तम श्रेणी का एवं विश्व स्तरीय हो।”
डा तिवारी ने कहा कि प्रभु श्री राम की कथा का प्रारम्भ उसके इतिहास से होना चाहिए, जिसमें सूर्यवंशी राजाओं का सम्पूर्ण इतिहास सम्मिलित हो। जो भी चित्र बनाए जाएं, उन सभी का गहन शोध किया गया हो तथा हर चरित्र के मुख के भाव की अभिव्यक्ति का उसमें समावेश हो। प्रभु श्रीराम की कथा को ऐसे दर्शाया जाए, जिससे बच्चें एवं युवा उनकी जीवनी से भली-भाँति परिचित हो सकें और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसार और अपनाने का प्रयास कर सकें।