धर्मं डेस्क. हिन्दू धर्मं में रक्षाबंधन की तरह भाईदूज का भी बहुत ज्यादा महत्व होता है. देश भर में आज भाई-दूज का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. दिवाली के दो दिन बाद मनाये जाने वाला ये त्योहार भाई-बहनों का एक दूसरे के प्रति प्यार को दर्शाता है. इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं.
Bhai Dooj 2020: जानें भाई दूज पर तिलक करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
भाई दूज के पर्व पर यम देव की भी पूजा की जाती है. इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं. मान्यता के अनुसार जो यम देव की उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. हिंदुओं के बाकी त्योहारों कि तरह यह त्योहार भी परंपराओं से जुड़ा हुआ है.
ऐसे हुई भाई दूज की शुरुआत-
यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेगें तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी. इसी कारण से इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन आस्था की डुबकी लेते हैं. इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए. तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है.
इन चीजों के बिना अधूरी भाई दूज की थाली-
बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है. इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ होता है. मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाइयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है. साथ ही कुछ स्थानों में भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की भी परंपरा देखी जाती है.