उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड (UP Madrasas Board) ने प्रदेश में संचालित सभी अनुदानित मदरसों (Madrasas) मे बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज किए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेश भर में मदरसा शिक्षकों के संघ बोर्ड के इस निर्णय का विरोध कर इस आदेश को वापस लिए जाने की मांग कर रहा है। वहीं बोर्ड ने जुलाई माह से मदरसों में बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज किए जाने की तैयारी पूरी कर ली है।
बोर्ड की ओर से शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज कराने की कवायद शुरू कर दी है। अधिकारियों की माने तो लखनऊ के अनुदानित मदरसों में शिक्षकों की बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज होना शुरू भी हो गई और मदरसों (Madrasas) में पढ़ने वाले बच्चों के फिंगर इम्प्रेशन लेकर जुलाई माह से इनकी भी बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज होना शुरू हो जाएगी। प्रदेश भर में कुल 560 अनुदानित मदरसे संचालित हैं।
पहले चरण में अनुदानित मदरसों में बायोमीट्रिक उपस्थिति शुरू की जा रही हैं। वहीं इसके बाद मान्यता प्राप्त मदरसों (Madrasas) में भी बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज किया जाना शुरू किया जा सकता है।
हाजिरी के आदेश का औचित्य नहीं
मदरसों (Madrasas) में बायोमीट्रिक उपस्थिति का विरोध टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया ने किया गया। एसोसिएशन ने अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री को पत्र लिखकर मदरसों में शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बायोमीट्रिक प्रणाली से किए जाने के आदेश को वापस लिए जाने की मांग की है।
एसोसिएशन के महामंत्री हाजी दीवान साहे जमां खां ने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार के जिस गजट नोटिफिकेशन के आधर पर बायोमीट्रिक उपस्थिति का आदेश जारी किया है वह केन्द्र द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना एवं अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के पर्यवेक्षण के लिए जारी हुआ था। अब यह योजनाएं बंद हो चुक हैं। इन के आधार पर अध्यापकों एवं बच्चों की बायोमीट्रिक हाजिरी के आदेश का कोई औचित्य नही है।
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जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोन कुमार ने बताया कि अनुदानित मदरसों में बायोमीट्रिक हाजिरी की तैयारी पूरी हो गई है। बच्चों के फिंगर इम्प्रेशन लिए जा रहे हैं। डाटा संकलित होते ही जुलाई माह से मदरसा छात्रों की बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू हो जाएगी।