मीरजापुर। परमहंस आश्रम (Paramhans Ashram) में गुरुवार को हुई गोलीबारी में एक साधु की मौत हो गई, जबकि एक अन्य साधु गंभीर रूप से घायल हो गया। आश्रम में हुई यह घटना कहीं वर्चस्व को लेकर तो नहीं हुई है। यह पहला मौका है जब सक्तेशगढ़ स्थित परमहंस आश्रम में इस तरह की वारदात हुई है। स्थानीय लोग वर्चस्व को लेकर हुई खूनी संघर्ष मान रहे है।
आश्रम के संत नारद महाराज के अनुसार, स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज का सक्तेशगढ़ के अलावा जिले के कछवां स्थित बरैनी, छानबे ब्लॉक के विजयपुर और हलिया ब्लॉक के औंरा गांव में आश्रम है। इसके अलावा पांचवां आश्रम मध्य प्रदेश के बरचर में स्थित है। सबसे सम्पन्न आश्रम सक्तेशगढ़ का परमहंस आश्रम है। इसी आश्रम पर स्वामी अड़गड़ानन्द रहते हैं। गुरुपूर्णिमा पर सक्तेशगढ़ आश्रम पर ही गुरुपूजा होती है। इसके अलावा इसी आश्रम पर स्वामी अड़गड़ानन्द अपने शिष्यों से मिलते हैं और प्रतिदिन शाम को तीन बजे से प्रवचन करते हैं। वहीं अन्य आश्रमों पर स्वामी अड़गड़ानन्द के शिष्य रहते हैं और वर्ष में एक बार स्वामी अड़गड़ानन्द खुद जाते हैं। इन आश्रमों पर भण्डारे का भी आयोजन होता है। इन पांच आश्रमों में सबसे सम्पन्न आश्रम परमहंस आश्रम सक्तेशगढ़ है। इस आश्रम के पास काफी सम्पत्ति है। इस आश्रम से पूर्वांचल के बड़े-बड़े लोगों के साथ ही दिल्ली, मुम्बई, गुजरात और महाराष्ट्र तक के शिष्य जुड़े हुए हैं। स्वामी अड़गड़ानन्द की उम्र भी काफी अधिक हो गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य कारणों से भी स्वामी अड़गड़ानन्द अब बहुत सक्रिय नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने अभी तक किसी को अपना उत्तराधिकारी नहीं घोषित किए है।
सक्तेशगढ़ चौकी के प्रभारी अनिल कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के सिहोर थाना क्षेत्र के छितरी गांव निवासी जीवन बाबा उर्फ जीत बीते आठ वर्षों से आश्रम में रसोइया का कार्य करता था। इसके बाद सुबह-शाम स्वामी अड़गड़ानन्द का हाथ-पैर भी दबाता था। वहीं इधर तीन-चार वर्ष से आशीष बाबा आश्रम में आ गए। आशीष बाबा को स्वामी अड़गड़ानन्द अपनी सेवा में रखने के साथ ही जब आश्रम में रहते तो आशीष भी साथ रहता। चार माह पहले एक दिन किसी भक्त से नाराज होकर जीवन बाबा ने उसके ऊपर खौलता हुआ सरसों का तेल डाल दिया। जब यह बात स्वामी अड़गड़ानन्द को पता लगी तो उन्होंने जीवन बाबा को आश्रम से निकालने के साथ ही सक्तेशगढ़ चौकी में जीवन बाबा के खिलाफ तहरीर भी दी। माना जा रहा है कि जीवन बाबा उर्फ जीत इसी को लेकर आशीष से नाराज था। जब वह गुरुवार को स्वामी अड़गड़ानन्द के कक्ष में घुसना चाहा तब आशीष बाबा ने जीवन बाबा को रोक दिया। इसके बाद जीवन बाबा ने आशीष बाबा को गोली मार दी। जीवन बाबा चार दिन पहले मध्य प्रदेश स्थित अपने गांव से आश्रम पर लौटा था।
कैसे दोबारा आश्रम में पहुंच गया जीवन बाबा
आश्रम से चार माह पहले निष्कासित जीवन बाब उर्फ जीत दोबारा आश्रम में कैसे पहुंच गया। यह सवाल भी लोगों के मन में कौंध रहा है। यहीं नहीं वह दो तमंचा और आठ कारतूस ले कर आश्रम में कैसे पहुंच गया। इसके अलावा आश्रम में वह अपना तमंचा और कारतूस कहां रखता था कि आश्रम के अन्य साधुओं को इसकी भनक तक नहीं लगी। वह मध्य प्रदेश से तमंचा और गोली लेकर सक्तेशगढ़ तक दो से तीन सौ किमी की यात्रा की लेकिन इस दौरान वह कहीं नहीं पकड़ा गया। यहीं नहीं जब वह आश्रम में पहुंचा तो आश्रम के जिम्मेदार साधुओं ने उसकी तलाशी क्यों नहीं ली। जीवन बाबा उर्फ जीत को आश्रम में रखने से पहले क्या स्वामी अड़गड़ानन्द को इसकी जानकारी दी गई थी कि उसे आश्रम में रखा गया है। इस मामले पर से भी पर्दा हटाए जाने की जरूरत है। यहीं नहीं इस वारदात के बाद आश्रम के साधु किसी से बात ही नहीं कर रहे हैं। यही नहीं घटना के तत्काल बाद आश्रम के सबसे वरिष्ठ संत नारद महाराज भी कुछ देर के लिए भूमिगत हो गए थे। उन्होंने अपना मोबाइल भी स्वीच ऑफ कर लिया था। दोपहर बाद वह आश्रम के एक कमरे से कुछ देर के लिए बाहर निकले लेकिन कोई भी प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने बस इतना कहा कि जो कुछ हुआ वह काफी गलत हुआ। इसके अलावा वो कुछ भी नहीं जानते।
आश्रम की ओर से अभी तक नहीं घोषित है कोई उत्तराधिकारी
स्वामी अड़गड़ानन्द ने अभी तक आश्रम के किसी भी संत को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है। आश्रम के प्रवक्ता नारद महाराज का कहना है कि अभी महाराज ही सब कुछ हैं। यही वजह है कि आश्रम का प्रत्येक साधु स्वामी अड़गड़ानन्द का करीबी होना चाहता है। माना जा रहा है कि इसी को लेकर साधु एक दूसरे से ईष्या भी रखते होंगे, अन्यथा इतनी बड़ी वारदात न होती। आशीष बाबा इस समय स्वामी अड़गड़ानन्द के करीब रहता था। वह सुबह मार्निंग वॉक से लेकर स्नान कराने और पूजा के दौरान उनके कक्ष में कोई प्रवेश न करने पाए, इसका ध्यान रखता था। आशीष ही आश्रम पर आने वाले शिष्यों से स्वामी अड़गड़ानन्द की मुलाकात करता था। इस वारदात के बाद आश्रम की छवि धूमिल हो गई। वहीं इस घटना को लेकर जिले की भी किरकीरी हो रही है। सक्तेशगढ़ स्थित परमहंस आश्रम से जुड़े शिष्य भी इस घटना से मर्माहत हैं।
घटना के समय आश्रम में ही थे स्वामी अड़गड़ानंद
जिस समय परमहंस आश्रम में गोली चली उस समय स्वामी अड़गड़ानन्द अपने कक्ष में पूजा कर रहे थे। पूजा कक्ष के बाहर गोली की आवाज सुनकर उनका भी ध्यान भंग हो गया। आश्रम के साधुओं की मानें तो वह पूजा कक्ष से जब बाहर झांक कर देखा तो हैरान हो गए, लेकिन पूजा कक्ष से वे बाहर निकले ही नहीं। इस वारदात के बाद पुलिस को सूचना देने के साथ ही आश्रम के गेट को बंद कर दिया गया और किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। जब पुलिस आश्रम पर पहुंची तब आश्रम का गेट खोला गया और पुलिस के अंदर होते ही बंद कर दिया गया। आश्रम का गेट गुरुवार को पूरे दिन बंद रहा। पुलिस के पहुंचने के बाद ही खुलता था।
जिले के किसी आश्रम में आज तक नहीं चली है गोली
जिले के पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो किसी भी आश्रम में आज तक गोली नहीं चली थी, लेकिन चुनार के सक्तेशगढ़ परमहंस आश्रम में गुरुवार की सुबह गोलियों की तड़तड़ाहट ने जिले को झकझोर कर रख दिया। वहीं घटना के बाद से आश्रम के भक्त भी सहमे हुए हैं। जिले में कुल लगभग 20 आश्रम हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक सक्तेशगढ़ परमहंस आश्रम के अलावा चार अन्य आश्रम हैं। इसके अलावा जिले में विंध्याचल देवरहा हंस बाबा आश्रम, गुदरिया आश्रम पड़री, पहाड़ी ब्लॉक के हाई माई आश्रम, भरुहना स्थित निरंकारी आश्रम, गुरुदेव नगर हेलीकाप्टर बाबा आश्रम समेत लगभग बीस आश्रम हैं।