नई दिल्ली। पंद्रहवें वित्त आयोग शुक्रवार को सलाहकार परिषद के साथ मौजूदा आर्थिक हालात से निपटने की रणनीति पर मंथन किया। आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में वित्त आयोग के सभी सदस्यों अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि, केंद्र एवं राज्यों के कर संग्रह में उछाल, जीएसटी संबंधी क्षतिपूर्ति और राजकोषीय मजबूती से जुड़े मुद्दों पर विमर्श हुआ। इस दौरान स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय, निवेश के फिर से रफ्तार पकड़ने, वित्तीय प्रणाली के पुनर्पूंजीकरण पर भी बातचीत हुई।
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सलाहकार परिषद ने माना कि वित्त आयोग मौजूदा समय में अनिश्चितताओं की एक अप्रत्या शित स्थिति का सामना कर रहा है। ऐसे में आयोग को राज्यों को कर अंतरण, अन्य हस्तांतरण, राजस्व संग्रह में भारी कमी के बीच उधारी सहित अन्य तरीकों से व्यय के वित्तपोषण और राजकोषीय समेकन या मजबूती के मार्ग के बारे में सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाना होगा।
उन्होंने सलाह दी कि आधार वर्ष 2020-21 के साथ-साथ 2021-22 के पहले वर्ष पर उन शेष चार वर्षों की तुलना में अलग हटकर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है क्यों कि इस अवधि के दौरान राजस्व की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार या बेहतरी होने की उम्मीद है।
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बैठक के दौरान त्रैमासिक आंकड़ों के मद्देनजर चालू वर्ष के दौरान जीडीपी वृद्धि दर के साथ-साथ बाद के वर्षों में विकास के पटरी पर आने की संभावनाओं पर भी अलग-अलग विचार व्यक्त किए गए। सलाहकार परिषद को यह प्रतीत हुआ कि जीडीपी के सापेक्ष सामान्य सरकारी ऋण के शुरुआती सालों में बेहद तेजी से बढ़ने की संभावना है। हालांकि, बाद के वर्षों में इसमें कमी लाने के लिए ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।