कोरोना महामारी के चलते देश को काफी हर्जा झेलना पड़ा। इसका एक भारी नुकसान शिक्षा क्षेत्र केई पड़ा है। जिसके चलते निजी स्कूल के प्रति छात्रों की रुचि भी काफी हद तक कम हो गयी है। छात्र निजी स्कूल छोड़ अब सरकारी स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं। कुछ ऐसा ही इस बार बिहार में 11वीं एडमिशन के दौरान देखा जा रहा है। सिर्फ सीबीएसई स्कूल की बात करें तो 15 से 20 फीसदी छात्रों ने दसवीं करने के बाद 11वीं में अपने स्कूल में एडमिशन नहीं लिया है। ऐसे छात्र सरकारी स्कूल में 11वीं में एडमिशन लिए है।
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सीबीएसई सहोदया कांप्लेक्स और एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स बिहार के रिपोर्ट की मानें तो प्रदेशभर के ज्यादातर स्कूल के छात्र 11वीं में एडमिशन अपने स्कूल में नहीं लेकर सरकारी स्कूल में लिया है। इंटरनेशनल स्कूल की बात करें तो स्कूल के 20 से 25 छात्रों ने 11वीं में एडमिशन नहीं लिया। वहीं डीएवी में भी दस के लगभग छात्रों ने 11वीं में एडमिशन नहीं लिया है। यह स्थिति कोई इन दो स्कूलों की नहीं बल्कि तमाम स्कूलों की है।
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निजी स्कूल ने कोरोना के कारण 11वीं एडमिशन के नियम में बदलाव किया था। नॉट्रेडम एकेडमी, सेंट माइकल, डीएवी बीएसईबी जैसे स्कूल में बिना लिखित परीक्षा के 11वीं में एडमिशन लिया था। केवल इंटरव्यू और अंक प्रतिशत के आधार पर एडमिशन लिया गया। इसके बावजूद छात्रों ने एडमिशन में रुचि नहीं दिखायी।
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1)- कोरोना काल में स्कूल लगातार बंद है, इसके बावजूद स्कूलों ने फीस लिया है।
2)- बिहार बोर्ड में 12वीं बोर्ड 2020 की परीक्षा समय से लिया गया और रिजल्ट समय पर दिया गया।
3)- बोर्ड ने जारी की 2021 के इंटर परीक्षा की तिथि।
4)- सरकारी स्कूल में एडमिशन फीस बहुत कम लगता है।
5)- सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के बाद एटेंडेंस पूरा करना जरूरी नहीं है।
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सीबी सिंह (अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स बिहार) ने कहा, इस बार 15 से 20 फीसदी छात्रों ने सीबीएसई छोड़ कर 11वीं में सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया है। सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के बाद छात्र रिलैक्स हो जाते हैं। उन्हें अटेंडेंस पूरा करने की चिंता नहीं होती है।